झारखंड में महिलाएं-लड़कियां अब भी सुरक्षित नहीं हैं। वह किसी न किसी रूप में प्रताड़ित हो रही हैं। इसका पर्दाफाश झारखंड पुलिस के ही आंकड़े कर रहे हैं। पिछले छह महीने में जनवरी से लेकर जून तक 2832 लड़कियां-महिलाएं किसी न किसी रूप से शिकार हुईं हैं। इनमें 101 बेटियां दहेज के लिए मार दी गईं।

राज्य में 864 लड़कियां दहेज के लिए इस कदर परेशान हो गईं कि उन्हें पुलिस का सहारा लेना पड़ा। वह परेशान होकर थाने पहुंचीं और दहेज प्रताड़ना की प्राथमिकी कराई। दुष्कर्म के मामले भी कम होने का नाम नहीं ले रहे।

छह माह में 794 लड़कियों-महिलाओं ने अपनी अस्मत गंवाईं, उनके साथ दुष्कर्म हुआ। इन छह महीनों में 690 बहू-बेटियों का अपहरण हुआ। 383 लड़कियों ने अपने साथ छेड़खानी के मामले में प्राथमिकी कराईं हैं।

झारखंड पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि धनबाद में छेड़खानी की घटनाएं सर्वाधिक हुईं हैं। जनवरी में राज्य में कुल छेड़खानी की 81 घटनाएं घटीं, जिनमें धनबाद में सर्वाधिक 20 घटनाएं दर्ज हैं।

फरवरी में घटित छेड़खानी की 54 घटनाओं में 18 धनबाद में, मार्च में घटित छेड़खानी की 60 घटनाओं में धनबाद में 16, अप्रैल में घटित 60 घटनाओं में धनबाद में 15, मई में घटित 52 में धनबाद में पांच व जून में घटित छेड़खानी की 76 घटनाओं में सिर्फ धनबाद में 14 मामले दर्ज हुए हैं।

राज्य में छह माह में दुष्कर्म की 794 घटनाओं में सर्वाधिक रांची में दर्ज की गईं हैं। जनवरी, फरवरी, मार्च व अप्रैल में सर्वाधिक दुष्कर्म की घटनाएं रांची में हुईं, मई में रांची दूसरे स्थान पर व जून में फिर पहले स्थान पर पहुंच गई। छह महीने में रांची में सबसे अधिक 106 दुष्कर्म के मामले आए। मई महीने में गिरिडीह ने रांची को पीछे किया, यहां 21 मामले दर्ज हुए।