राजधानी की चिकित्सा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े करते हुए एक मरीज काल के गाल में समा गयी। गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल से वेंटिलेटर की आवश्यकता बता कर ट्रामा सेंटर भेजी गई महिला मरीज को तीन घंटे तक वेंटिलेटर नहीं मिला। मरीज को वेंटिलेटर के लिए बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया यहां पर आने से पहले मरीज की मृत्यु हो गई।

देवरिया निवासी 60 वर्षीय सुनैना देवी को ब्रेन हेमरेज के बाद आइटी कालेज के निकट एएस अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां पर इलाज के दौरान मरीज की हालत गंभीर होती गई। वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता बताकर अस्पताल से एंबुलेंस के जरिए ट्रामा सेंटर भेजा गया। यहां पर परिवारजन वेंटिलेटर के लिए ट्रामा सेंटर से लेकर गांधी वार्ड तक चक्कर लगाते रहे।

इस दौरान मरीज एंबुलेंस में ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही लगभग तीन घंटे की मशक्कत के बाद भी जब वेंटिलेटर नहीं मिला तो ट्रामा के चिकित्सकों ने मरीज को बलरामपुर अस्पताल ले जाने को कहा। परिवारजन बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी पर दोपहर में पहुंचे लेकिन यहां पर डाक्टरों ने जांच कर मरीज को मृत घोषित कर दिया। परिवारजनों का कहना है कि समय पर इलाज मिलता तो मरीज बच सकती थी।

प्रकरण पर केजीएमयू प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश भर से रेफर होकर आ रहे गंभीर मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। ट्रामा सेंटर में वेंटिलेटर सीमित हैं और सभी ज्यादातर भरे रहते हैं। फिर भी हम हर संभव प्रयास करते हैं। वेंटिलेटर खाली न होने के कारण मरीज को बलरामपुर भेजा गया था। बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डा. जीपी गुप्ता का कहना है कि मरीज जब इमरजेंसी में आई तो उनमें कोई भी हरकत नहीं थी। जांच में उन्हें मृत पाया गया।