राजस्थान में वसुंधरा राजे को खुद की भूमिका से जुड़े प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा। हालांकि प्रधानमंत्री की सभा से ये संकेत जरूर मिल गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा नहीं होंगी, मगर क्या पार्टी उनको जिम्मेदारी देगी, इस पर संदेह बना हुआ है।


तो वहीं, वसुंधरा ने स्पष्ट कर दिया है कि वो राजस्थान कर कहीं नहीं जाएगी। प्रदेश में रहकर ही जनता की सेवा करेंगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को वसुंधरा राजे की अनदेखी भारी पड़ सकती है। प्रदेश के इलेक्शन में कर्नाटक वाला खेल हो सकता है।

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने काफी मशक्कत के बाद 41 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है। वसुंधरा राजे को टिकिट नहीं दिया गया है। बड़े स्तर पर टिकट काट दिए गए हैं। टिकट के दावेदार खफा नेताओं ने दावेदारी छोड़ दी है। बीजेपी की हर सीट पर बागी मैदान में खड़े हो गए हैं। पार्टी को नुकसान हो सकता है। वसुंधरा राजे फिलहाल चुप हैं।

सियासी जानकार वसुंधरा राजे की चुप्पी टूटने का इंतजार कर रहे हैं। वसुंधरा राजे बीजेपी को जोर का झटका दे सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे सही वक्त का इंतजार कर रही हैं।

राज्य में वसुंधरा राजे की भूमिका तय करने में भारतीय जनता पार्टी ने देरी कर दी है। इलेक्शन में नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि हर सीट पर वसुंधरा राजे के समर्थकों ने ताल ठोक रखी है।