वाराणसी में कमजोर बादलों ने बारिश की राह रोक दी है। मानसून सीजन की बात करें तो पिछले सात वर्षों में इस बार सबसे कम बारिश हुई है। 2017 से 2023 तक के मानसून सीजन के आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में 711 मिलीमीटर जबकि 2019 में 1000 मिलीमीटर बारिश हुई। इस साल 2023 में अब तक 590 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक के अनुसार बादलों की कमजोरी ही इसकी मुख्य वजह है।

मानसून का सीजन जून से सितंबर तक माना जाता है और इन चार महीनों में औसत 910 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए। पूर्वांचल में मानसून के आने का समय 20 जून है। इस बार मानसून की दस्तक 25 जून को हुई और शुरुआत में अच्छी बारिश हुई, लेकिन इसके बाद मानसून मानो मौन हो गया।

जून में 134, जुलाई में 195 मिलीमीटर बारिश हुई। अगस्त में भी 180 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई। सितंबर में अबतक बारिश रुक-रुककर हो रही है। अब तक 50 मिलीमीटर बारिश हुई है। इस तरह इस सीजन में अब तक 590 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। हालांकि अभी इस माह में 21 दिन बचे हैं। बीते दो दिनों में 80 मिलीमीटर बारिश हुई है। 

बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि मानसून सीजन में बारिश कम होने की वजह बादलों की कमजोरी है। बताया कि बंगाल की खाड़ी से आने वाले बादल यहां आते आते इस बार कमजोर हो गए। बादलों की सक्रियता कम होने के कारण ही मैदानी भागों में इस बार अच्छी बारिश नहीं हुई है। इस तरह की स्थिति केवल पूर्वांचल में वाराणसी में ही देखने को मिली जबकि आसपास के जिलों में इस बार बारिश ठीक हुई हैं। आने वाले दिनों में भी बारिश के आसार हैं लेकिन इस बार सबसे कम बारिश होना किसानों के लिए चिंताजनक भी है।