भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में भी बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। ऐसे में राजस्थान के भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि उनमें से कुछ को मंत्रिमंडल या टीम जेपी नड्डा में जगह मिल सकती है। भाजपा के केंद्रीय संगठन और मंत्रिमंडल में राजस्थान के नेताओं और सांसदों को पहले से ज्यादा पद मिलेंगे, ऐसी उम्मीद प्रदेश संगठन को है। सांसदों और विधायकों के साथ ही नेताओं में चुनावी साल में आस जागी है।

भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं। राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर, राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ हैं। राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल भी राजस्थान से हैं। उन्हें यूपी सहित अन्य राज्यों का दायित्व दिया गया है। ओम प्रकाश माथुर केंद्रीय चुनाव समिति में हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के साथ ही भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्री हैं।

माना जा रहा जल्द होने वाले संगठनात्मक और मंत्रिमंडल फेरबदल में राजस्थान के कई कद्दावर नेताओं को पदों से नवाजा जाएगा। इसमें क्षेत्र और जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। मंत्रिमंडल बदलाव में आदिवासी प्रतिनिधित्व वाले सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और कनकमल कटारा के नाम प्रमुख हैं। राजस्थान से एक भी महिला सांसद फिलहाल केंद्र में मंत्री नहीं हैं। सांसद दीया कुमारी और रंजीता कोली के नाम चर्चा में हैं। इनके अलावा संघ की पसंद सांसद घनश्याम तिवाड़ी, राजेंद्र गहलोत सहित कई चेहरों के नाम शामिल हैं। संगठन के लिए भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और विधानसभा में मौजूदा उप-नेता सतीश पूनिया, विधायक मदन दिलावर और अरुण चतुर्वेदी सहित कई नामों की चर्चा हैं। 

चुनावों को देखते हुए बदलाव

भाजपा सूत्र बता रहे हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों को देखते हुए ही मोदी मंत्रिमंडल और केंद्रीय संगठन में बदलाव और नई टीम पर फैसला किया जाएगा।  प्रदेश की 25 में से 24 सीटों पर भाजपा सांसद हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल से जिन मंत्रियों को बाहर किया जाएगा,  उन्हें भी पार्टी संगठन में जिम्मेदारी देकर एडजस्ट किया जाएगा।

बनेगी नड्डा की नई टीम

मोदी मंत्रिमंडल में बदलाव और विस्तार के बाद जेपी नड्डा की टीम घोषित होगी। जिन बड़े या जनता पर पकड़ और क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नेताओं को मंत्री नहीं बनाया जाएगा, उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी। क्षेत्रीय और जातीय आधार का खास ख्याल रखा जाएगा।