चुनाव आयुक्तों का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जज से घटाकर कैबिनेट सचिव के बराबर किए जाने वाले विधेयक के विरोध में पूर्व आयुक्तों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। कुल 9 पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने लेटर लिखकर पीएम मोदी से अपील की है कि उन प्रावधानों को हटाया जाए, जिनमें चुनाव आयोग के अधिकारियों की हैसियत घटाने की बात शामिल है।

पीएम मोदी को पत्र लिखने वाले चुनाव आयुक्तों में एस. कृष्णमूर्तिा, एसवाई कुरैशी, एचएस ब्रह्म, सैयद नसीम जैदी, ओपी रावत और सुशील चंद्र शामिल हैं। इन लोगों ने अपने लेटर में लिखा है कि इस तरह चुनाव आयुक्तों को स्टेटस कम करके कैबिनेट सचिव के बराबर करने से यह संदेश जाएगा कि ये भी नौकरशाहों जैसे ही हैं।

आयुक्तों ने लिखा, 'इस बिल के प्रावधानों से यह संदेश जाएगा कि चुनाव आयुक्त भी नौकरशाहों जैसे ही हैं। उनमें कुछ अलग नहीं है। इससे यह धारणा भी खत्म हो जाएगी कि चुनाव आयुक्त नौकरशाही से अलग हैं।' पत्र में लिखा गया है कि संविधान के आर्टिकल 325 में इस बात का वर्णन है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को महाभियोग के तहत ही हटाया जा सकता है, जैसे सुप्रीम कोर्ट के किसी जज को हटाया जाता है। इससे स्पष्ट है कि संविधान भी चुनाव आयुक्तों को वह दर्जा देने की बात करता है, जो सुप्रीम कोर्ट के जज का है। पूर्व अधिकारियों ने कहा कि इस फैसले से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी चुनाव आयोग की पहचान भी प्रभावित होगी।

दुनिया में छवि है कि हम सरकार से मुक्त, अब बदल जाएगी धारणा

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने लिखा, 'भारत में चुनावों को पूरी दुनिया में देखा जाता है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों का एक सम्मान रहा है और उन्हें गरिमा के साथ देखा जाता है। इसकी वजह भारत में सिर्फ निष्पक्ष चुनाव होना ही नहीं है बल्कि चुनाव आयुक्तों को मिला सुप्रीम कोर्ट के जज का दर्जा भी है। इसकी वजह से पूरी दुनिया में यह धारणा रही है कि भारत का चुनाव आयोग सरकार से मुक्त है।'

आर्टिकल 148 का भी जिक्र, आखिर इसमें क्या लिखा है

इसी पत्र में पूर्व निर्वाचन अधिकारियों ने संविधान के आर्टिकल 148 का जिक्र करते हुए लिखा है कि इसमें कैग को भी चुनाव आयोग जैसा दर्जा देने की बात कही गई है। इससे साफ है कि चुनाव आयुक्तों को मिला दर्जा और अधिकार दूसरी संस्थाओं के लिए भी मिसाल के तौर पर पेश किए जाते रहे हैं। ऐसे में यदि इस गरिमा में कटौती की गई तो फिर ठीक नहीं होगा। पूर्व निर्वाचन अधिकारियों ने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे दखल दें और दर्जे में कमी किए जाने से रोकें।