भोपाल । प्रदेश सरकार गोसदन को फिर शुरू करने जा रही है। इनका नाम गोवंश वन्य विहार होगा। ऐसे 10 वन्य विहार शुरू किए जाएंगे। अंग्रेजों के समय से संचालित होने वाले वन्य विहार जंगल से जुड़ी राजस्व भूमि में होंगे, जिससे गोवंशीय पशुओं को चरने के लिए जंगल में छोड़ा जा सके। एक वन्य विहार में पांच हजार से अधिक गोवंशीय पशुओं को रखने की व्यवस्था होगी। बड़ी बात यह है की राज्य सरकार यहां पर प्रति गाय 71 रुपये हर दिन के हिसाब से अनुदान देगी। इसमें 50 रुपये वहां काम करने वाले कर्मचारी के लिए होगा। इनका संचालन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से कराया जाएगा। प्रदेश की मौजूदा गोशालाओं को प्रति गाय अभी 20 रुपये रोज के मान से अनुदान दिया जा रहा है।एक सुविधा यह भी रहेगी कि वन्य विहार संचालक कुल गायों में 40 प्रतिशत तक दुधारू गाय भी यहां रख सकेंगे, जिससे अतिरिक्त आय हो सके। वन्य विहार बनाने के लिए पशुपालन विभाग के पास पहले से छह हजार 700 एकड़ जमीन है। गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरि ने बताया कि अविभाजित मध्य प्रदेश में 10 वन्य विहार थे। इनमें दो छत्तीसगढ़ और आठ मध्य प्रदेश में थे। वर्ष 2000 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन्हें बंद कर दिया था। हालांकि, इनकी जमीन पशुपालन विभाग के पास ही थी। उन्होंने बताया कि वन्य विहार में गोवंशीय पशु दिन में चरने के लिए संरक्षित क्षेत्र में जाएंगे। रात में उन्हें गोशाला में रखा जाएगा। यहां पर धीरे-धीरे गोवंश को रखने की क्षमता आवश्यकता अनुसार बढ़ाई जा सकेगी।रायसेन और बालाघाट में भी वन्य विहार के लिए 500 एकड़ जमीन इसके लिए अधिग्रहित करने का प्रस्ताव है। जिन जिलों में वन्य विहार बनाए जा रहे हैं, उनमें सीहोर, शिवपुरी, जबलपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, खरगोन, मंदसौर, बालाघाट और रायसेन शामिल हैं। इनके अलावा बैतूल, छिंदवाड़ा और सिवनी में भी बनाने का प्रस्ताव है।