हिंदी का गढ़ कही जाने वाली  काशी नागरी प्रचारिणी सभा के चुनाव का परिणाम छह अप्रैल को घोषित होगा। नौ जून 2022 को मतदान हुआ था। चुनाव जीतने वाला वाराणसी के साथ ही नई दिल्ली और हरिद्वार के परिसर का अध्यक्ष भी होगा।अंतरराष्ट्रीय महत्व की हिंदीसेवी संस्था नागरी प्रचारिणी सभा का पुराना वैभव फिर से लौटेगा। 19 सालों के बाद संस्था को नई कार्यकारिणी मिलने की उम्मीदें जगी हैं। इससे वाराणसी के साहित्य जगत व बुद्धिजीवियों में भी खुशी है। एक साल पहले हुए प्रचारिणी के चुनाव के परिणाम छह अप्रैल को आएंगे।

हिंदी का गढ़ कही जाने वाली नागरी प्रचारिणी सभा को छह अप्रैल को नई कार्यकारिणी मिल जाएगी। इसके बाद संस्थान में शोध और साहित्यिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी। नागरी प्रचारिणी सभा का मुद्रण और प्रकाशन विभाग अरसे से बंद है। ऐसे में नई कार्यकारिणी से उम्मीद है कि वो इसका फिर से संचालन शुरू करे।

अगर सभा द्वारा प्रकाशित सभी पुस्तकें आज भी उपलब्ध हो जाएं तो हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों और शोधार्थियों समेत वृहत्तर हिंदी संसार लाभान्वित होगा। साथ ही उनकी बिक्री से होने वाली आय से सभा की आर्थिक स्थिति भी सुधारी जा सकेगी। चुनाव जीतने वाला वाराणसी के साथ ही नई दिल्ली और हरिद्वार के परिसर का अध्यक्ष भी होगा।

नए अध्यक्ष और कार्यकारिणी के सामने चुनौतियां भी होंगी। इसमें आर्यभाषा पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के साथ ही 128 वषोZं की हिंदी की थाती को सहेजना प्रमुख है। सभा का मुख्य भवन जिसमें हिंदी का सबसे पुराना आर्यभाषा पुस्तकालय है, वह सवा सौ साल पुरानी एक हेरिटेज इमारत है। इसको तत्काल सघन देखरेख और सरंक्षण की जरूरत है, जबकि रखरखाव के अभाव में वह जीर्णशीर्ण होकर गिरने की कगार पर है। भूतल पर उसका एक हिस्सा ढह भी गया है।

चुनाव में दूसरे पक्ष से खड़े संस्कृतिकर्मी व्योमेश शुक्ल ने बताया कि अगर उनकी कार्यकारिणी चुनाव जीतती है तो उनकी प्राथमिकता में आर्यभाषा पुस्तकालय का जीर्णोद्धार शामिल है। इसके साथ ही पुस्तकालय में उपलब्ध पांडुलिपियों, पुस्तकों, हस्तलेखों का इंटेलैक्चुअल ऑडिट कराएंगे। राज्य और केंद्र सरकार से बातचीत कर जरूरत के अनुरूप परिसर का सुंदरीकरण भी कराया जाएगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह प्रचारिणी सभा को विकसित किया जाएगा। कर्मचारियों के वेतन संबंधी मामलों को हल करना, नई नियुक्तियां और आय के स्रोत विकसित करना प्राथमिकता में होंगी। देश भर के साहित्यसेवी व बुद्धिजीवियों को सीधे नागरी प्रचारिणी से जोड़ा जाएगा।

15 साल से चल रहा विवाद अब अंत की ओर

नागरी प्रचारिणी सभा में पिछले 15 वर्षों से चल रहा कानूनी विवाद अब पटाक्षेप की तरफ है। संस्कृतिकर्मी व्योमेश शुक्ल की लिखित आपत्ति पर चुनाव के बाद अब मतगणना भी कराई जाएगी। सहायक निबंधक सोसाइटीज को 2004 की साधारण सभा के सदस्यों की सूची के आधार पर जिला प्रशासन की देखरेख में चुनाव नौ जून 2022 में हुआ था।
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