इस बार के लोकसभा चुनावों में बाड़मेर सीट सबसे ज्यादा चर्चाओं में है। इसकी वजह है निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाने के लिए दांव खेला है। अब इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के उम्मेदाराम और रविंद्र भाटी के बीच नजर आ रहा है। 

राजस्थान के ऊंट की तरह लोकसभा चुनावों में जनता का मूड किस करवट बैठेगा इसका फैसला तो आने वाले दिनों में हो ही जाएगा। प्रदेश में दो चरणों में होने वाले चुनावों में बाड़मेर लोकसभा सीट के चुनाव दूसरे चरण में होंगे। भाजपा ने यहां अपने निर्वतमान सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को मैदान में उतारा है। उनके सामने कांग्रेस से उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी हैं लेकिन इस बार इस सीट पर सबसे कड़ा मुकाबला उम्मेदाराम बेनीवाल और रविंद्र सिंह भाटी के बीच नजर आ रहा है। इसकी मुख्य वजह है मुस्लिम और विश्नोई समाज का रुख। ये दोनों वर्ग यहां के बड़े वोटर हैं लेकिन इस बार के चुनावी माहौल में इनमें बड़ा शिफ्ट देखने को मिल रहा है।

इस सीट पर इस बार मुस्लिम बंटा नजर आ रहा है, जो यहां का बड़ा वोटर है। हालांकि यह वर्ग कांग्रेस का सबसे मजबूत वोटर माना जाता है लेकिन हरीश चौधरी से नाराजगी के चलते इस बार यहां का मुस्लिम वोटर रविंद्र सिंह भाटी को भी विकल्प के रूप में देख रहा है। हालांकि कांग्रेस ने इस वर्ग को साधने के लिए यहां अपने सबसे भरोसेमंद नेता हेमाराम चौधरी को आगे किया है। हेमाराम लगातार यहां के मुस्लिम नेताओं से संपर्क साध रहे हैं।  
उम्मेदाराम ने बाड़मेर लोकसभा में आने वाली बायतू विधानसभा से 2023 में चुनाव लड़ा था। इसमें वे 75 हजार 911 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीं रविंद्र सिंह भाटी ने शिव से निर्दलीय चुनाव लड़कर करीब 80 हजार वोट लिए थे। 

जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां मुख्य रूप से जाट, मुस्लिम, राजपूत, विश्नोई और एससी हैं। इसमें विश्नोइयों से जुड़े कई नेता इस बार भाटी के संपर्क में हैं। वहीं विधानसभा चुनावों में हरीश चौधरी से मुस्लिम नेताओं की नाराजगी का फायदा भी उन्हें मिल सकता है। हालांकि जाट वोटों की बात करें तो उम्मेदाराम से यहां काफी उम्मीदें हैं।