प्रयागराज : समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा को संतों का समर्थन मिला है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद तथा अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद ने संतों से कहा है कि वह जनता के बीच इस कानून के पक्ष में माहौल बनाएं।

देश के 13 अखाड़ों के 30 लाख से अधिक संत-महात्मा तो इसमें लग गए हैं, दस हजार दंडी संन्यासी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। संतों की इन संस्थाओं की तरफ से समान नागरिक संहिता के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाने की भी तैयारी है। धर्मगुरुओं को प्रवचन, परिचर्चा, सीधा संवाद के जरिए माहौल बनाने को कहा गया है।

जो संत चातुर्मास में एक स्थान पर रुके हैं, उन्हें घर जाकर आस-पास के लोगों को एकत्र करके समान नागरिक संहिता पर चर्चा करने का निर्देश दिया गया है। बता दें, समान नागरिक संहिता की मांग वर्षों से चल रही है। भाजपा इसे लागू करने की पक्ष में रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते दिनों इसके पक्ष में बयान दिया तो चर्चा छिड़ गई।

राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का निर्णय

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी कहते हैं कि देश का हर व्यक्ति समान है। संविधान में कोई भेदभाव नहीं किया गया है। इसके बावजूद वोट की लालच में कुछ वर्ग को धर्म के नाम पर अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है। ये अनैतिक है, इसीलिए समान नागरिक संहिता के समर्थन में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है।

राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए लागू होना आवश्यक

अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम कहते हैं कि राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता का लागू होना आवश्यक है। इसके लागू होने से आपसी भेदभाव खत्म होगा। हर नागरिक प्रेम से रहेंगे। दंडी संन्यासी चातुर्मास के दौरान आमजन के बीच जाकर आम राय बनाएंगे।

किसी को छूट न दी जाए

संतों का हिंदुओं के अलावा सिख, बौद्ध व जैन सम्प्रदाय के लोगों को साधने पर जोर है। इनका कहना है कि जब संविधान में सबको समान अधिकार है तो कुछ वर्ग को विशेष छूट क्यों मिल रही है। जाति, धर्म व पंथ के नाम पर किसी को छूट न दी जाए। राष्ट्रीय विधि आयोग को सुझाव भेजने के साथ समान नागरिक संहिता को जल्द लागू करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाने की मांग की जाएगी।