जेवीएम स्कूल की चलती बस के इमरजेंसी गेट से पांचवीं का छात्र अचानक गिर गया था। इस मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जिसे दो दिनों में रिपोर्ट जिला परिवहन कार्यालय को सौंपनी है। जांच टीम में एमवीआइ, जिला रोड सेफ्टी मैनेजर और रोड सेफ्टी एनालिस्ट शामिल रहेंगे। शुक्रवार की घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के प्रमुख स्कूलों की बसें अनफिट हैं, लेकिन सड़कों पर सरपट दौड़ रही हैं। नौनिहालों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

मानकों को पूरा नहीं करती हैं बसें

राजधानी की कुछ बसों में विंडों गार्ड नहीं हैं, बैक लाइट टूटी हुई है, रेडियम टेप वाहन में नहीं लगाए गए हैं। कई का परमिट, इंश्योरेंस और फिटनेस तक फेल हैं, जिसे बिना अपडेट कराए दौड़ाया जा रहा है। स्कूल बस का रंग पीला अनिवार्य है, लेकिन कई स्कूलों की बस और वाहन पीले नहीं हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और न ही स्कूल प्रबंधन व प्रशासन बसों के परिचालन पर रोक लगा रहे हैं। सीट से अधिक बच्चों को बसों में बैठाकर स्कूल तक पहुंचा रहे हैं।

जांच में 22 बसों से वसूला गया था जुर्माना

हाल ही में डीटीओ ने स्कूल बसों पर कार्रवाई की थी, जिसमें 79 बसों की जांच की गई। इनमें से 22 स्कूल बसों के कागजात फेल थे और न ही बसों में फर्स्ट एड बॉक्स था। ड्राइवर और कंडक्टर बिना यूनिफॉर्म के वाहन चला रहे थे। कई बसों में रेडियम टेप और ड्राइवर का नाम और नंबर तक अंकित नहीं था। कई बसों में तो कंडोम पाए गए। जांच में पाया गया कि शहर के निजी स्कूल फीस सहित स्कूली बसों का किराया तो ले रहे हैं, लेकिन सुविधा पर इनका कोई ध्यान नहीं है।