राज्य सरकार अपने कर्मियों के लिए शीघ्र ही स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने की तैयारी में है। इस बीमा के लिए राज्यकर्मियों का प्रतिमाह 500 रुपये अक्टूबर माह से काटने का निर्णय लिया गया है।

चिकित्‍सा भत्‍ते में से 500 रुपये कटेंगे

कर्मियों को प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता के रूप में एक हजार रुपये मिलते थे, जिनमें 500 रुपये इस बीमा के लिए कटेंगे। शेष 500 रुपये उन्हें आउटडोर सेवाओं के लिए पूर्व की तरह मिलते रहेंगे। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इस संबंध में सभी विभागों व ट्रेजरी को पत्र भेजा जा रहा है।

राज्‍यकर्मियों का निकाला जाएगा डेटा

स्वास्थ्य विभाग इस योजना के तहत बीमा कंपनी के चयन के लिए टेंडर इसी माह जारी करने की तैयारी चल रही है। इससे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के पोर्टल पर एक लिंक जारी कर सभी राज्यकर्मियों से उनके तथा उनके आश्रितों तथा इस योजना से जुड़ने वाले पेंशनरों से डाटा लिया जाएगा। इस योजना के लिए बजट शीर्ष गठित करने को लेकर भी वित्त विभाग को पत्र भेज दिया गया है। साथ ही इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये राशि का प्रविधान आकस्मिकता निधि से करने का वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया है। इनमें 100 करोड़ रुपये से चालू वित्तीय वर्ष में योजना का क्रियान्वयन होगा, जबकि 50 करोड़ रुपये बफर स्टाॅक में रखे जाएंगे। इस बफर स्टाॅक से पांच लाख से अधिक इलाज होने पर भुगतान हो सकेगा। इस 150 करोड़ रुपये की राशि के लिए अगले वित्तीय वर्ष के बजट या चालू वित्तीय वर्ष के अनुपूरक बजट का इंतजार नहीं किया जाएगा।

कर्मियों के साथ आश्रितों को भी मिलेगा बीमा का लाभ

बता दें कि स्वास्थ्य बीमा का लाभ कर्मियों के साथ-साथ उनके आश्रितों को भी मिलेगा। इनमें कर्मी के पति/पत्नी, पुत्र/वैध दत्तक पुत्र (25 वर्ष की आयु तक बशर्ते बेरोजगार हो), पुत्री (अविवाहित/विधवा/ परित्यकता पुत्री)/ नाबालिग भाई एवं अविवाहित बहन एवं आश्रित माता-पिता (प्रतिमाह नौ हजार तथा उसपर अनुमान्य महंगाई राहत से कम पेंशन प्राप्त करने वाले) सम्मिलित होंगे। दिव्यांग बच्चे को इसका लाभ आजीवन मिलेगा।

विश्वविद्यालयों तथा बोर्ड-निगमों से भी लिया जाएगा कर्मियों का डाटा

राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों तथा बोर्ड निगमों के कर्मियों को भी इस योजना से जोड़ने का निर्णय लिया है। हालांकि, इसके लिए प्रीमियम का भुगतान संबंधित कर्मी या विश्वविद्यालय तथा बोर्ड-निगम को करना होगा। इसी तरह पेंशनरों को भी प्रीमियम का भुगतान करना होगा। इसे लेकर विश्वविद्यालयों तथा बोर्ड निगमों से भी उनकी सहमति तथा उनसे कर्मियों का डाटा लेने का निर्णय लिया गया है।