कराची। बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर आतंकी हमला हुआ है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, बंदूकों और विस्फोटकों से लैस अज्ञात हमलावर अचानक से पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी (जीपीए) परिसर घुस गए और फिर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कथित तौर पर हमलावर पोर्ट के अंदर स्थित इमारत में घुस गए। स्थानीय सुरक्षाकर्मियों ने इलाके की घेराबंदी कर जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस और सुरक्षा बलों ने आठ सशस्त्र हमलावरों को मार गिराया है।
परिसर के अंदर से जोरदार धमाकों और जबरदस्त फायरिंग से आसपास का इलाका दहल गया। जीपीए पाकिस्तान के तीसरे सबसे बड़े बंदरगाह के निर्माण स्थल ग्वादर बंदरगाह की मेजबानी के अलावा विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों के केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह हमला ग्वादर बंदरगाह पर हुआ, जहां चीनी इंजीनियर वर्तमान में व्यापक निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। यह बंदरगाह महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा है, जो बीजिंग के  बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का केंद्र बिंदु है। यहां बड़ी संख्या में चीनी कर्मचारी भी काम कर रहे हैं। चीनी ठिकानों पर पहले भी पाकिस्तान में कई आतंकवादी समूहों द्वारा हमला किया जा चुका है। अगस्त 2023 में बंदूकधारियों ने ग्वादर में चीनी श्रमिकों के एक काफिले पर हमला किया और अलगाववादी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमले की जिम्मेदारी ली। इस घटना के बाद चीनी कर्मियों की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है।
2021 में ग्वादर बंदरगाह को लेकर हुआ था समझौता
आपको बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर परियोजना में ग्वादर बंदरगाह बेहद महत्वपूर्ण है। ये अरब सागर तक चीन की पहुंच के लिए बेहद अहम बंदरगाह है। पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान और चीन ग्वादर बंदरगाह को सीपीईसी के तहत लाने के लिए राजी हुए थे। दोनों देशों ने मिलकर ये समझौता किया था कि वो ग्वादर बंदरगाह की पूरी क्षमता का सीपीईसी के तहत इस्तेमाल करेंगे जिससे पाकिस्तान और चीन, दोनों को फायदा होगा।सीपीईसी प्रोजेक्ट पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट को चीन के शिंजियांग प्रांत से जोड़ता है। ये चीन की महत्वाकांक्षी अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की प्रमुख परियोजना है। चीन-पाकिस्तान के बीच सीपीईसी परियोजना की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। इसके तहत, चीन पाकिस्तान में कई आधारभूत परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। चीन ने सीपीईसी की शुरुआत में कहा था कि वो इस प्रोजेक्ट में 46 अरब डॉलर निवेश करेगा लेकिन 2017 के आते-आते परियोजना की कीमत 62 अरब डॉलर हो गई। भारत शुरुआत से ही सीपीईसी का विरोध करता आया है क्योंकि ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत इस क्षेत्र में किसी भी तरह के विदेशी निवेश को अस्वीकार्य बताता है।