प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा के सिविल वाद की पोषणीयता पर विपक्षी की आपत्ति पहले सुनने के आदेश को गलत नहीं मानते हुए हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। मथुरा की अदालत ने विपक्षी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी की वाद पोषणीयता की आपत्ति अर्जी मंजूर करते हुए याची की पौराणिक कुआं का साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग अस्वीकार कर दी थी। इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य की याचिका पर अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल किया है। इसके तहत जिला जज मथुरा को जन्मभूमि से जुड़े सभी मुकदमों की सूची दो सप्ताह में तैयार करके हाई कोर्ट स्थानांतरित करने का आदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश से पीठ गठित कर ट्रायल करने का आदेश दिया। यह केस भी हाई कोर्ट स्थानांतरित है। ऐसे में अनुच्छेद-227 में सुपरवाइजरी शक्ति का इस्तेमाल कर हस्तक्षेप करने का इस पीठ को क्षेत्राधिकार नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सुरेश कुमार मौर्य व विपक्षी अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना था कि विपक्षी की वाद पोषणीयता को लेकर दाखिल आदेश 7 नियम-11 की अर्जी तय करने से पहले आदेश 26 नियम-9 के तहत दाखिल याची की अर्जी तय हो।

इस अर्जी में याची ने मथुरा अदालत से मांग की थी कि कटरा केशवदेव के नाम दर्ज शाही ईदगाह की भूमि में स्थित पौराणिक कुआं की मुंडेर तोड़ी जा रही है, उसका साइंटिफिक सर्वे कराया जाय। इसके लिए अमीन कमीशन भेजा जाय।

मथुरा अदालत ने कहा कि पहले विपक्षी की अर्जी सुनी जाएगी, क्योंकि यदि सिविल वाद पोषणीय नहीं पाया गया तो आगे की कार्यवाही की आवश्यकता नहीं रहेगी। कोर्ट ने कहा कि सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति पहले सुनी जाएगी। अधीनस्थ अदालत के आदेश में कोई वैधानिक त्रुटि नहीं है।