भोपाल । मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का इंतजार लंबे समय से हैं। उन्हें हर महीने 620 से 5640 रुपये का नुकसान हो रहा है और सरकार को करीब छह सौ करोड़ रुपये महीने की बचत हो रही है। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है, जबकि प्रदेश के 12 लाख से अधिक कर्मचारियों को 38 प्रतिशत ही मिल रहा है। केंद्र ने जनवरी 2023 में चार प्रतिशत भत्ता बढ़ाया है, पर राज्य सरकार ने यह अब तक नहीं दिया है। कर्मचारियों की चिंता यह है कि सरकार भत्ता देने में जितनी देर करेगी, उन्हें उतना अधिक नुकसान होगा, क्योंकि पिछले 15 साल में सरकार ने महंगाई भत्ते का एरियर कभी नहीं दिया। कर्मचारी चाहते हैं कि यह जल्द से जल्द मिल जाए, तो उन्हें कम नुकसान हो। विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं और सरकार पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है। हर वर्ग की समस्याएं सुनी और हल की जा रही हैं। ऐसे में कर्मचारी भी प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलित हैं। वैसे तो उनकी कई मांग हैं, पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि जुलाई 2019 से अप्रैल 2023 तक 46 महीने में सरकार महंगाई भत्ते के एरियर के नौ हजार 775 करोड़ रुपये बचा चुकी है। जनवरी 2023 से मिलने वाले चार प्रतिशत महंगाई भत्ते के आदेश जारी नहीं होने से कर्मचारियों को 620 रुपये से पांच हजार 640 रुपये महीने का नुकसान हो रहा है। पांच महीनों के बात करें तो 3100 से 28200 रुपये का नुकसान हुआ है। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता ही नहीं, पेंशनरों की नौ प्रतिशत महंगाई राहत भी अटकी हुई है। वे केंद्र के कर्मचारियों की तुलना में नौ प्रतिशत पीछे चल रहे हैं। पांच प्रतिशत उनका पहले से रुका हुआ था और जनवरी 2923 में चार प्रतिशत की वृद्धि और हो गई थी।