जयपुर । राजस्थान में राज्य सरकार समर्थित लगभग 91 विधानसभा सदस्यों द्वारा 25.09.2022 को विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए सामूहिक त्यागपत्र के उपरान्त भी संवैधानिक पद पर बने रहने के संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, सचेतक जोगेश्वर गर्ग सहित भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और उनसे उचित निर्णय लेने का अनुरोध किया।विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन गुलाबचंद कटारिया, सतीश पूनियां, राजेन्द्र राठौड़, जोगेश्वर गर्ग के साथ वासुदेव देवनानी, निर्मल कुमावत, चंद्रकांता मेघवाल, रामलाल शर्मा, अशोक लाहोटी, अविनाश गहलोत, रूपाराम मुरावतिया, अभिनेष महर्षि, कन्हैयालाल चौधरी, मंजीत इत्यादि विधायकों ने सौंपा।सतीश पूनियां ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, 2018 में कांग्रेस के विग्रह की शुरुआत जो राजभवन से हुई थी बाद में उसकी परिणिति राजद्रोह के मुकदमों से हुई, पीसीसी चीफ एवं डिप्टी चीफ मिनिस्टर की बर्खास्तगी से हुई, उसकी परिणिति बाड़ाबंदी के रूप में हुई, चि_ी पत्री से हुई, सदन में विरोध और विकार से हुई।अंतत: एक ऐसा अवसर आया जब लगभग अनुमानित 90-91 सदस्यों ने स्पीकर के घर पर आकर पूरे नियोजित तरीके से इस्तीफे दिए, कहा तो यह गया कि तात्कालिक फैसला था पर यह टेंट वाला कहां से आया, क्या हलवाई घर में रखते हैं शांति धारीवाल, क्या स्पीकर महोदय ने जलेबियां पहले बनवा रखी थी, इसका मतलब यह पूरा एक किस्म का सियासी मामला था।तय यह करना है कांग्रेस को या तो यह सियासी पाखंड था यदि पाखंड नहीं था और इस्तीफे सच्चे थे तो इसके लिए हम लोग स्पीकर के पास आए हैं स्पीकर महोदय को पूरा अवसर मिले, उन्होंने कहा था कि यह संवैधानिक मसला है, इसके लिए दूसरे प्रदेशों की मिसाल, देश की मिसाल इसके बारे में अध्ययन करना है तो 2 हफ्ते का उन्हें पर्याप्त समय मिला था और जब यह समय हो गया तब हमने उनके दरवाजे पर गुहार लगाई है की राजस्थान में यह पता लगे कि सरकार कौन चला रहा है? क्योंकि वह बंगला सरकारी लिए हुए हैं, खाट सरकारी तोड़ रहे हैं, गाड़ी सरकारी तोड़ रहे हैं, रोटियां सरकारी तोड़ रहे हैं, कलम सरकारी चला रहे हैं, तबादले सरकारी कर रहे हैं तो हमारा ऐतराज यह है कि जब इस्तीफा दे दिए तो सरकार कौन चला रहा है?राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि राजस्थान में संवैधानिक मशीनरी का जो फेलियर हुआ है, अब स्पीकर साहब को यह तय करना है कि उस पर वह क्या निर्णय लेते हैं, उन्होंने कहा कि मुझे थोड़ा वक्त चाहिए संवैधानिक प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए, हमने निवेदन किया कि आप इस कुर्सी पर विराजे हो लोकतंत्र की यह सर्वोच्च कुर्सी है, जो सदन के सदस्यों के प्रति यह अधिकार देती है और इस लिहाज से राजस्थान की जनता उत्सुक भी है और जनता को भरोसा है कि आप कांग्रेस के इस पाखंड पर योग्य निर्णय लेंगे, यह बात ठीक है कि डिक्टेट नहीं कर सकते, हमने तो उनसे संवैधानिक अधिकारों की बात की, हमने उनसे निवेदन, आग्रह और गुहार लगाई है देखते हैं उनका निर्णय क्या होता है। राज्य सरकार दिख रही है अल्पमत में है और सरकार बंटी हुई है, यदि आप बहुमत से फैसला करते हैं तो सरकार 20 लोग तो चला नहीं रहे, उन्होंने कहा कि 102 का बहुमत हमारे पास है तो जैसे कहा जाता है कि 90-91 लोगों ने इस्तीफा दिया है, इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफों के बाद सरकार अल्पमत में आ ही जाती है।