हिंदू धर्म और ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण काल को बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस बार साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग रहा है इसी दिन वैशाख मास की अमावस्या भी है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के समय राहु और केतु के अशुभ प्रभाव पड़ जाते है जिस कारण इस दौरान कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है।

ज्योतिष में तो ग्रहण काल को लेकर कुछ नियम भी बताए गए है। जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि साल के पहले सूर्य ग्रहण पर किन कार्यों को करना चाहिए और किन से परहेज करना चाहिए तो आइए जानते है।

ग्रहण काल में क्या करें क्या नहीं-
ज्योतिष अनुसार ग्रहण काल के वक्त गर्भवती महिलाओं को अधिक ​ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को कैंची, सुई, ब्लेड या चाकू का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। शास्त्र अनुसार ग्रहण काल में किसी प्रकार की चीजों काटने या सिलने की मनाही होती है। ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा ग्रहण के दौरान फल, पुष्प, पत्ते या फिर लकड़ी आदि को भी गर्भवती महिलाओं को नहीं तोड़ना चाहिए ऐसा करने से ग्रहण का दोष लगता है। इससे बचना उत्तम होता है।

मान्यता है कि ग्रहण के समय किसी भी तरह की पूजा पाठ या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान केवल भगवान का ध्यान करते रहना चाहिए। सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय भोजन करना भी वर्जित माना जाता है। ग्रहण काल के समय गर्भवती महिलाओं को अपने पास नारिलय रखना चाहिए इससे ग्रहण का अशुभ प्रभाव नहीं लगता है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं अपने पेट पर गेरू लगाकर रखें। इस उपाय को करने से शिशु पर नकारात्मक असर नहीं होता है। इस दौरान अधिक से अधिक समय तक गायत्री मंत्र या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।