मुंबई। महाराष्ट्र और देश की सियासत में शरद पवार एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। जानकारों की मानें तो समझ में ही नहीं आ रहा कि शरद पवार आखिर किसके साथ हैं? क्या वह महाविकास अघाड़ी के साथ हैं या फिर उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा है? दरअसल शरद पवार ने कुछ दिन पहले यह बयान दिया था कि देश में मंहगाई, बेरोजगारी और बिगड़ता लॉ एंड आर्डर जैसे बड़े मुद्दे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के ऊपर सवाल या विवाद खड़ा करने से असली समस्या खत्म नहीं होगी। पवार ने कहा कि किसी की डिग्री उनके लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है। महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो चुकी है। लिहाजा ऐसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। पवार के इसी बयान की वजह से उनके ही सहयोगी दल उनपर सवाल उठा रहे हैं। 
उनसे यह भी पूछा जा रहा है कि सही मायने में वो किसके साथ हैं। वहीं कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट की राय भी पवार से मुख्तलिफ है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के दो बयानों ने एमवीए में कुछ समय के लिए दरार दाल दी थी। जिसमें पहला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का मामला और दूसरा अडानी मामले में जेपीसी की जगह सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की निगरानी में जांच वाला बयान। पवार ने यह भी कहा था कि अडानी समूह के बारे में जिस हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष द्वारा इतना हल्ला मचाया जा रहा है। जबकि उस कंपनी की खुद की कोई क्रेडिबिलिटी नहीं है। 
गौरतलब है ‎कि कुछ दिन पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनी समिति का जांच का दायरा बहुत सीमित है और यह प्रधानमंत्री मोदी और अरबपति व्यवसायी के बीच गहरी सांठगांठ को सामने नहीं ला सकती। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस नेता दबी जुबान में शरद पवार के रुख पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि, उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि शरद पवार के रुख से महाराष्ट्र के साथ-साथ देशभर में विपक्षी एकता में दरार नहीं आएगी।