धौलपुर में सैंपऊ उपखंड के गांव राजा का नगला के मेन रास्ते पर गंदा पानी जमा होने से लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर स्कूली बच्चों और गांव की महिलाओं को रोजमर्रा के कामकाजों के लिए रोजाना गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। उसमें भी मुश्किल यह है कि रास्ते के बगल से श्मशान होने के कारण स्कूली बच्चों को चिता के बगल से आवागमन करते समय अजीब डर सताता रहता है।

कई बार तो बच्चों को श्मशान तक रास्ता पार कराने के लिए अभिभावकों को आना पड़ता है। स्थिति यह है कि बच्चों को हर रोज स्कूल तक पहुंचने में एक ओर जलभराव की समस्या से तो दूसरी रास्ते से सटकर रखी रहने वाली चिताओं के बगल से गुजरने में अजीब डर का सामना करना पड़ता है।

बीते दिन शनिवार को स्थानीय ग्रामीणों और बच्चों ने समस्या को लेकर पानी के बीच खड़े होकर ग्राम पंचायत एवं पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया गया। ग्रामीणों का आरोप था कि बारिश के समय महीनों तक रास्ते की बदहाली के चलते ग्राम वासियों को भारी फजीहत झेलनी पड़ती है।

पूर्व सरपंच गोपीचंद जाटव, रामजी लाल शर्मा, रामदरस शर्मा, वृंदावन राजपूत और नीरज राजपूत आदि ने बताया कि निजी एवं सरकारी स्कूलों में एक जुलाई से पढ़ाई शुरू हो गई है। गांव के तमाम बच्चे रोजाना गांव से बाहर पढ़ने के लिए जाते हैं, जिनको प्रतिदिन आम रास्ते में भरे गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रास्ते पर अस्थाई श्मशान बना हुआ है, जहां आए दिन चिताएं जलती रहती हैं। ठंडी चिताओं के रास्ते के बगल से रखे होने के कारण आवागमन करते समय छोटे बच्चे भयभीत बने रहते हैं। यही स्थिति देर सवेर रास्ता निकलने वालों के साथ बनी हुई है।

दो पंचायतों की आबादी बसती है राजा का नगला में

गांव राजा का नगला की हालत दो नावों के सवार जैसी है। गांव की आबादी सैंपऊ और झीलरा पंचायतों के अधीन आती है। गांव की 80 प्रतिशत आबादी झीलरा में और 20 प्रतिशत आबादी सैंपऊ पंचायत से लगी हुई है। उसके बावजूद दोनों पंचायतों के सरपंच समस्याओं का समाधान कराने में नाकाम साबित हुए हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि रास्ते में जलभराव की समस्या के समाधान के लिए कई बार उन्होंने दोनों पंचायतों के सरपंच एवं सेक्रेटरी को शिकायत की है। लेकिन नतीजा सिफर निकला है। उन्होंने बताया कि रैनी सीजन से पहले नाले और नालियों की सफाई कराई जानी थी, लेकिन दोनों पंचायतों के जिम्मेदार नाकाम साबित हुए हैं। सफाई के अभाव में नाले पहले से ही ओवरफ्लो थे। वहीं, बिपरजॉय चक्रवात से शुरू हुए बारिश के दौर से मेन रास्ते में जलभराव की स्थिति पैदा होने से बस्ती वासियों का रास्ता निकलना मुश्किल हो रहा है।

पैरों के माध्यम से घरों तक पहुंच रही गंदगी, फैल रही बीमारी

राजा का नगला के रास्ते पर डेढ़ से दो फीट गंदा पानी भरे रहने के कारण लोगों को रोजाना पानी के अंदर से आवागमन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीण अरब सिंह, सबूआ खान ने बताया कि गंदे पानी से बार-बार निकलने के कारण लोगों के पैरों में सड़न बैठ गई है, जिससे बच्चे एवं बुजुर्ग अनिल करेगी संक्रामक बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं। इसके अलावा घरों तक पैरों के साथ पहुंचने वाली गंदगी के कारण मक्खी मच्छर आदि से संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है।