झारखंड के विधायकों का वेतन छह वर्षों के बाद बढ़ाए जाने की संभावना है। विधानसभा समिति ने इस आशय की अनुशंसा की है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायकों का वेतन बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव आया था। विधायकों ने सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव लाया था कि उनका वेतन बढ़ाया जाए। इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट विधानसभा को सौंप दी है।

कितना होगा मासिक वेतन?

विधानसभा समिति ने अपनी रिपोर्ट में विधायकों का मूल वेतन बढ़ाकर 60 हजार रुपये मासिक करने की अनुशंसा की है। अभी विधायकों को मासिक 40 हजार रुपये मूल वेतन के अतिरिक्त भत्ते का भुगतान किया जाता है, जो लगभग दो लाख के करीब होता है। सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो मानसून सत्र में विधायकों की वेतन बढ़ोतरी पर विधानसभा की मुहर लग जाएगी। उल्लेखनीय है कि बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए बजट सत्र के दौरान विधायकों का वेतन लगाने की मांग उठाई गई थी। इसका सभी दलों के विधायकों ने समर्थन किया। विधायकों की भावना को देखते हुए विधानसभा की समिति गठित की गई। हालांकि, विधायकों का वेतन बढ़ाने को लेकर मीन-मेख निकालने की परंपरा रही है, लेकिन विधानसभा में वेतन बढ़ाने संबंधी अनुशंसा पर मुहर लगी तो यह छह वर्षों के बाद होगा। इस दौरान महंगाई में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे पूर्व वर्ष 2017 में विधायकों के वेतन का पुनर्निधारण किया गया था।

सबका अलग-अलग वेतन

पिछले वेतन के पुनर्निधारण के दौरान मुख्यमंत्री का मूल वेतन 70 हजार मासिक से 80 हजार रुपये मासिक किया गया था। जबकि विधायकों का वेतन 30 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 40 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया था। नेता प्रतिपक्ष का मूल वेतन 50 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 65 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया था। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष का मूल वेतन 55 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 78 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया था। इसके अलावा मुख्य सचेतकों का वेतन 55 हजार मासिक, उप मुख्य सचेतक का वेतन 50 हजार रुपये और सचेतक का वेतन 45 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया था।