खाने-पीने की वस्तुओं के दाम घटने से मार्च, 2023 में खुदरा महंगाई 6 फीसदी से कम रह सकती है। खुदरा कीमतों पर आधारित (सीपीआई) महंगाई पिछले दो महीने से लगातार आरबीआई के 6 फीसदी से संतोषजनक दायरे से ऊपर रही है। रॉयटर्स की ओर कराए गए सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने कहा, खुदरा महंगाई में लगभग आधी हिस्सेदारी रखने वाले खाद्य वस्तुओं की महंगाई में सब्जियों के दाम घटने के कारण सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि, अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी से खुदरा महंगाई में कमी थोड़ी सीमित रह सकती है। इसके बावजूद सीपीआई महंगाई 5.80 फीसदी रह सकती है।

सरकार मार्च के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े 12 अप्रैल, 2023 को जारी कर सकती है। इससे पहले फरवरी, 2023 में खुदरा महंगाई 6.44 फीसदी और जनवरी में 6.52 फीसदी रही थी। 39 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वे में कहा गया है कि मार्च में खुदरा महंगाई 5.40 से 6.40 फीसदी के दायरे में रह सकती है। 

वहीं, 25 फीसदी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार भी सीपीआई महंगाई आरबीआई के संतोषजनक दायरे से बाहर रह सकती है। पिछले साल जनवरी से लेकर अक्तूबर तक यानी लगातार 10 महीने तक खुदरा महंगाई केंद्रीय बैंक के ऊपरी दायरे 6 फीसदी से अधिक रही थी। हालांकि, नवंबर, 2022 और दिसंबर, 2022 में ही यह 6 फीसदी से नीचे आई थी।

पहली तिमाही से राहत संभव

खुदरा महंगाई के मोर्चे पर 2023-24 की पहली तिमाही से राहत मिल सकती है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमत औसतन 85 डॉलर प्रति बैरल पर रहती है तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 5.2 फीसदी रहेगी। पहली तिमाही में यह 5.1 फीसदी रह सकती है। दूसरी एवं तीसरी तिमाही में यह थोड़ी बढ़कर 5.4 फीसदी पर पहुंच सकती है, जबकि चौथी तिमाही में घटकर 5.2 फीसदी रह सकती है।