लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद 22 जनवरी 2024 का दिन उस वक्त इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा, जब अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला विराजेंगे. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का वक्त दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच होगा.

हालांकि इसके पांच दिन पहले से ही प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित विधि विधान शुरू हो जाएगा. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही रामलला का नियमित दर्शन पूजन भी शुरू हो जाएगा.

वाराणसी के प्रकांड ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ और उनके बड़े भाई विश्वेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने यह मुहूर्त बताया है. इससे पहले दोनों ज्योतिषी बंधुओं ने 5 अगस्त 2020 को राम जन्मभूमि का भूमि पूजन मुहूर्त भी बताया था. इसके अलावा, 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ धाम के शिलान्यास और 15 नवंबर 2021 को कनाडा से आई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की विश्वनाथ मंदिर में स्थापना का मुहूर्त भी इन्होंने ही निकाला था. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में विस्थापित मूर्तियों की स्थापना भी कराई थी.

अयोध्या में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले प्रकांड ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच होगी. इसी एक घंटे की अवधि में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. लेकिन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित तमाम विधि विधान काफी लंबा होता है, इसलिए 5 दिन पहले यानी 17 जनवरी 2024 से मंदिर में सारे विधि विधान शुरू हो जाएंगे.

5 दिन पहले शुरू हो जाएंगे विधि विधान
उन्होंने आगे बताया कि विधि विधान के लिए 5, 7 या 11 दिनों का वक्त निर्धारित होता है. लेकिन रामलला की मूर्ति की स्थापना 25 जनवरी के पहले करनी है और मकर संक्रांति के बाद ही विधि विधान शुरू होगा. इसलिए इन 5 दिनों में ही सभी कार्य पूरे करने होंगे और फिर रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी.

रोहिणी नक्षत्र में होगी प्राण प्रतिष्ठा
गणेश्वर शास्त्री ने आगे बताया कि इस मुहूर्त में खास बात यह है कि इसमें रोहिणी नक्षत्र मिल रहा हैस जो अपने आप में बहुत खास है. यह मुहूर्त सर्वोत्र उत्कृष्ट है. इससे राष्ट्र का कल्याण होगा और राष्ट्र ऊपर शिखर की ओर बढ़ता जाएगा. उन्होंने बताया कि इसमें लग्न भी सर्वदोष रहित है और बान भी नहीं मिल रहे हैं. शास्त्रों में पांच तरह के बान यानी अवरोधों का उल्लेख है जिसमें रोग, अग्नि, राज, चोर और मृत्यु है. लेकिन इस मुहूर्त में एक भी बान नहीं है. मुहूर्त निकालते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है.