अपने जीते जी फ्लाइंग सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह ने कई मंचों से एथलीट्स के लिए शहर में सिंथेटिक ट्रैक बनाने की मांग की। मिल्खा सिंह अक्सर कहते थे कि दौड़ ही सब खेलों की मां है, जब खिलाड़ी दौड़ लगाएंगे तो उनकी फिटनेस अच्छी होगी और फिटनेस अच्छी होगी तो खिलाड़ी चाहे किसी भी खेल में हों मेडल जरूर आएंगे। रविवार को स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स-7 का सिंथेटिक ट्रैक बन कर तैयार हो गया है। कंपनी के इंजीनियर्स का कहना है कि सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का काम कंपनी ने अपने तय समय के मुताबिक जून महीने में पूरा किया है। आठ लेन वाले इस सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण पांच लेयर में हुआ है। इसके साथ जेवलियन थ्रो, शाट पुट, लंबी कूद और ट्रिपल जंप के लिए डी पोर्शन भी बनाया गया है। वार्मअप ट्रैक बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है, इसे पूरा होना में अभी 15 दिन का समय और लगेगा।

साढ़े छह करोड़ की लागत से बना है यह सिंथेटिक ट्रैक

स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स-7 में सिंथेटिक ट्रैक को बनाने की अनुमानित लागत 6.50 करोड़ रुपये है। इसको बिछाने वाली कंपनी शिव नरेश के इंजीनियर का कहना है सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का सारा निर्माणकार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर के तय मानकों को ध्यान में रखकर किया गया है। निर्माण के बाद कंपनी अगले पांच वर्षों तक इस सिंथेटिक ट्रैक की देखभाल करेगी, अगर कोई दिक्कत आती है तो कंपनी उसे ठीक करेगी। उन्होंने सिंथेटिक ट्रैक को लेकर बताया कि डिपार्टमेंट को इस ट्रैक पर दौड़ने की अनुमति सिर्फ एथलीट्स को रंनिग शूज डालकर दौड़ने के लिए देनी चाहिए, अगर एथलीट्स ही इस सिथेंटिक ट्रैक का इस्तेमाल करेंगे तो ट्रैक सात साल तक चलेगा, अन्यथा आम लोग चप्पल व सामान्य जूतों के साथ इसपर सैर करना शुरू कर देंगे तो यह सिर्फ ढाई साल चलेगा। इसलिए इसको संभालना बहुत जरूरी है।

शहर को मिला दूसरा सिंथेटिक ट्रैक

चंडीगढ़ शहर को दूसरा सिंथेटिक ट्रैक मिलने जा रहा है। इससे पहले, सुखना लेक पर जॉगिंग करने वालों के लिए 1800 मीटर का सिंथेटिक ट्रैक बनाया गया है, फिटनेस प्रेमी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सिर्फ एथलीट्स के लिए शहर में यह पहला सिथेंटिक ट्रैक होगा। इससे पहले, शहर में एथलीट्स के लिए कोई सिथेंटिक ट्रैक नहीं था। हालांकि, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स-46 और पंजाब विश्वविद्यालय में सिंडर ट्रैक है, लेकिन बारिश के मौसम में इस ट्रैक पर दौड़ने से चोट लगने का खतरा बना रहता है। नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के टूर्नामेंट सिंथेटिक ट्रैक पर होते हैं। इसलिए इन टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से पहले प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ियों को पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में जाना पड़ता है। जिस वजह से एथलीट्स का समय और पैसा दोनों खराब होता था। इस ट्रैक के बनने के बाद चंडीगढ़ नेशनल स्तर के टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए भी अपनी दावेदारी ठोक सकती है।