बिहार की शराबबंदी में थोड़ी सी ढील देने के आसार
नई दिल्ली। एक तरफ राज्य में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत तथा दूसरी तरफ अदालतों की तल्ख टिप्पणी के बाद बिहार में लागू शराबबंदी कानून में एक बार फिर बड़े बदलाव की तैयारी है।बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम, 2016 में दूसरी बार संशोधन का प्रस्ताव लाया जा रहा है। इसके तहत पहली बार यदि शराब पीते पकड़े गए तो वहीं जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा। दोबारा पकड़े जाने पर जेल की हवा खानी पड़ेगी। इसके साथ ही शराब से संबंधित सामान्य मामलों में भी राहत देने पर विचार किया जा रहा है। नालंदा और सारण जिले में जनवरी माह में जहरीली शराब से 21 लोगों की मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत मुरार थाना क्षेत्र के अमसारी गांव में पांच लोगों की मौत हो गई तथा दो अन्य को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इन सभी लोगों ने 26 जनवरी के जश्न में शराब पार्टी का आयोजन किया था। देसी शराब पीने के चंद घंटों के अंदर ही एक-एक करके लोगों ने अपनी जान गवां दीं। हर बार की तरह पुलिस-प्रशासन ने इनकार करने के बजाय प्रथम दृष्टया ही स्वीकार कर लिया कि जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हुई है। संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है। पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार सिंह ने कहा, ‘‘प्रारंभिक जांच से प्रतीत होता है कि सभी ने शराब पी थी। अवैध रूप से शराब बनाकर उपलब्ध कराने वालों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जा रही है।'' शराबबंदी को लेकर पुलिस व प्रशासनिक तंत्र पहले से ही निशाने पर रहा है। नालंदा की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। संजय जायसवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए, क्योंकि प्रशासन का काम जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों की मौत का कारण अजीबो-गरीब बीमारी बताना नहीं होता है। अगर कोई व्यक्ति बार-बार शराब पीता पकड़ा गया तो उसे जुर्माना और जेल दोनों हो सकता है। इसके साथ ही शराब पीने तथा बेचने के आरोप में पकड़े गए लोगों के लिए अलग-अलग कोर्ट बनाने का प्रस्ताव है, ताकि त्वरित गति से मामलों का निपटारा किया जा सके। इस उद्देश्य से न्यायालयों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। अब इससे जुड़े मामलों का ट्रायल एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट, डिप्टी कलेक्टर या इससे ऊपर रैंक के अधिकारी भी कर सकेंगे। यह भी प्रस्ताव आ सकता है कि जिस जगह से शराब बरामद होगी उस जगह को एएसआई भी सील कर सकेगा तथा जब्त शराब को सुरक्षित स्थल पर ले जाना यदि संभव नहीं होगा तो उसे डीएम के निर्देश पर बरामदगी स्थल पर ही नष्ट किया जा सकेगा। इसके लिए डीएम अपनी ओर अधिकारी प्रतिनियुक्त करेंगे। वहीं नए संशोधन में शराब के धंधे में पकड़े गए वाहनों को भी जुर्माना लेकर छोड़ने का प्रावधान किया जा सकता है। इसके साथ ही शराब बेचने व बनाने में शामिल अपराधियों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने का भी प्रस्ताव है। यह अधिकार सरकार के पास होगा और इसके तहत राज्य के बाहर के शराब तस्करों की संपत्ति की भी जब्ती की जाएगी। संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर गृह तथा विधि विभाग के पास भेजा गया है। संभावना है कि आगामी बजट सत्र में इसे पेश कर दिया जाएगा। उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने कहा, ‘‘मद्य निषेध विधेयक में संशोधन प्रस्ताव पर काफी लंबे समय से विचार चल रहा है। नए संशोधन प्रस्ताव में शराब पीकर पकड़े जाने के मामले में सुनवाई का अधिकार एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट को दिए जाने की तैयारी है। जुर्माने की राशि क्या होगी, यह अभी तय नहीं है।