क्या आपको कोई बात परेशान कर रही है? क्या आप वास्तव में इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहते हैं? क्या आप कक्षा में पढ़ाई जा रही बातों को पूरी तरह समझ पा रहे हैं? क्या मेस में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता अच्छी है? ऐसे ही कुछ सवालों के साथ कोटा पुलिसकर्मियों की एक टीम काउंसलर की तरह छात्रों से नियमित संवाद कर रही है। 

दरअसल, छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ने के मद्देनजर शहर पुलिस ने छात्रों से संवाद कर उनमें तनाव और अवसाद के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए एक विशेष स्टूडेंट सेल की स्थापना की है। कोटा के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ने बताया, सेल में एक नियंत्रण कक्ष है, जहां कर्मियों को कॉल रिसीव करने के लिए तैनात किया गया है। वे छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देते हैं और यदि किसी छात्र को पेशेवर मदद की आवश्यकता होती है तो उन्हें परामर्शदाताओं के पास भेजते हैं।

ठाकुर ने बताया कि सेल में 11 पुलिसकर्मी हैं। इनकी उम्र 40 के आसपास है और जिनके किशोर बच्चे हैं। इससे उनके लिए छात्रों की समस्याओं को समझना आसान होगा। गौरतलब है, इस साल अब तक 22 छात्रों के करने के मामले सामने आ चुके हैं।

टीम छात्रावासों का औचक दौरा कर छात्रों से संवाद करती हैं। अगर छात्र में दबाव, तनाव या अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं तो उनके माता-पिता को सूचित किया जाता है। टीम सुबह नौ बजे काम शुरू कर देती है और प्रतिदिन करीब 15 छात्रावासों का दौरा करती है।

टीम अब तक करीब 60,000 छात्रों से संपर्क कर चुकी है। साथ ही वार्डन से भी संपर्क करते हैं ताकि जान सकें कि क्या उन्हें छात्र के व्यवहार में कोई बदलाव दिखा है, जैसे छात्र कक्षा में नहीं जा रहा है या भोजन नहीं ले रहा। हमारी कोशिश है कि ऐसे छात्रों की पहचान करके हम कोई घातक कदम उठाने से पहले ही उनकी मदद कर पाएं।