नई दिल्ली । दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार शुक्रवार को अध्यादेश लेकर आई है. इस अध्यादेश के जरिए केंद्र ने अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार फिर उपराज्यपाल को दे दिए हैं.
केंद्र सरकार के इस अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भड़क गए हैं और उन्हें तानाशाह करार दिया है.
संजय सिंह ने कहा, "भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर साबित किया है कि वह एक तानाशाह हैं. वह ना अदालत मानते हैं ना संविधान मानते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाया गया है, जिसने कहा था चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार होना चाहिए."
संजय सिंह ने वीडियो जारी कर पीएम मोदी से पूछा कि वह अरविंद केजरीवाल से इतना डरते क्यों हैं. पूरा देश और दिल्ली देख रही है कि किस तरह लोकतंत्र का गला घोंटा, सर्वोच्च न्यायालय को चुनौती दी है. जनता आपकी तानाशाही के खिलाफ जरूर खड़ी होगी. सुप्रीम कोर्ट भी निश्चित रूप से इस अध्यादेश पर संज्ञान लेगा.
वहीं इस मामले में दिल्ली सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार का अध्यादेश सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बेहद स्पष्ट तौर पर कहा था कि चुनी हुई सरकार सुप्रीम है. चुनी सरकार के पास सारी शक्तियां हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से डरकर केंद्र सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है. केजरीवाल सरकार की पावर को कम करने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र का नया अध्यादेश बदले की भावना से ओत-प्रोत है और पूरी तरह से संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है. संवैधानिक सिद्धांत यह है कि नौकरशाह चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह होते हैं. लेकिन आपने नौकरशाहों को अन्य नौकरशाहों का प्रभारी बना दिया है. आप कैसे अध्यादेश के जरिए संविधान का उल्लंघन कर सकते हैं? इसे चुनौती दी जाएगी और इसे संसद के जरिए पारित नहीं होने दिया जाएगा.
बता दें कि इस अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन करेगी, जो दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का काम करेगी. इस प्राधिकरण में तीन सदस्य होंगे, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और गृह सचिव होंगे. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यह समिति अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का फैसला बहुमत के आधार पर करेगी, लेकिन आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार दिल्ली सरकार को दिए थे. इसको लेकर आम आदमी पार्टी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. दरअसल दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव केंद्र सरकार द्वारा ही नियुक्त किए जाते हैं. इस तरह मुख्यमंत्री अल्पमत में होगा और उपराज्यपाल के पास ही अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार रहेंगे.