भोपाल । सरकारी ऑफिसों में काम का टेंशन अधिकारियों और कर्मचारियों के मानसिक व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का वजह बन रहा है। काम का बोझ और अन्य दबाव का असर उनकी सेहत पर दिख रहा है। ऐसे में कर्मचारियों-अधिकारियों को स्वस्थ और तरोताजा महसूस करने के लिए सरकार ने ऑफिसों में योगा ब्रेक लागू करने की योजना बनाई है। राज्य सरकार का योग आयोग इसके लिए काम कर रहा है। आयोग कार्यालयों में योग करने के लिए हर जिला स्तर पर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों को जिम्मेदारी सौंपने जा रहा है। योग आयोग में यह मसौदा बनाने वाले अधिकारियो की माने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चाहते है कि सरकारी मशीनरी तंदुरुस्त होकर जनमानस की सेवा सुकून के साथ करे। आयोग ने जब मुख्यमंत्री के समक्ष यह प्रस्तावित सुझाव रखा, तब मुखिया ने भी इसको तत्काल हरी झंडी दी। इसके बाद ही योग आयोग जिला भ्रमण पर निकलने के लिए तैयार हुआ है।
बदलती कार्यशैली ने वर्ककल्चर को भी प्रभावित किया है। साथ ही लगातार कंप्यूटर पर काम करने के कारण अधिकतर स्थानों-ऑफिस में लोग तनाव अनुभव करते हैं। तनाव की वजह से लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है साथ ही प्रोडक्टिविटी भी कम हो रही है। कई रिसर्च से भी पता चला है कि ऑफिसों में वर्क प्रेशर से कर्मचारियों व अधिकारियों में कई प्रकार की बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। अब इसका उपाय योग आयोग ने ढूंढ़ लिया है। शासकीय विभागों में काम के बोझ से तनावग्रस्त सरकारी तंत्र को अब योग से संजीवनी मिलेगी। राज्य सरकार का योग आयोग इसके लिए हर जिला स्तर पर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों को जिम्मेदारी सौंपने जा रहा है। अगले सप्ताह से आयोग इस पर काम शुरू कर देगा। योग आयोग के चेयरमैन वेद प्रकाश शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देशन में यह महत्वाकांक्षी प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। अगले सप्ताह से जिलों का भ्रमण शुरू किया जाएगा। जहां हर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर समस्त विभागों में योग शुरू करवाया जाएगा।
सरकार का मानना है कि विभागों में काम के बोझ से दबकर शासकीय तंत्र न सिर्फ तनावग्रस्त हो रहा है, बल्कि असाध्य बीमारियों भी उन्हें जकड़ रही हैं। अनेक सरकारी सेवक हैं, जो उपचार में भारी धनराशि खर्च करने के बाद भी पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो पा रहे हैं। नतीजतन इसके लिए योग ही सशक्त माध्यम है। इस महत्वाकांक्षी प्रोग्राम को अनवरत चलाने अगले सप्ताह योग आयोग जिला भ्रमण पर निकल रहा है। आयोग के चेयरमैन स्वयं अपनी टीम के साथ निर्धारित टाइम-टेबल के अनुसार जिलों में पहुंचेंगे। वहां हर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ अलग-अलग बैठकें आयोजित की जाएंगी। बैठक में अकेले कलेक्टर एसपी शामिल नहीं होंगे। कलेक्टर की बैठक जिलाधिकारी कार्यालय में ही ली जाएगी। इस दौरान सभी विभागाध्यक्ष को बुलाया जाएगा। इसी प्रकार पुलिस कप्तान के साथ बैठक पुलिस लाइन में होगी, जहां विभाग के जिम्मेदार ऑफीसर्स को सम्मिलित किया जाएगा।
आयोग का कहना है कि सरकारी विभागों में प्रत्येक सेवक को इससे जोडऩे के लिए जिला स्तर पर योग कमेटी बनाई जाएगी। कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति गठित होगी। जिसका सचिव जिला शिक्षा अधिकारी और समन्वयक शिक्षा विभाग के योग प्रशिक्षण प्रभारी को बनाया जाएगा। इसमें योग विशेषज्ञता से जुड़े अन्य क्षेत्रों से भी लोगों को बतौर सदस्य रखा जाएगा। आयोग का कहना कि जिस जिले में बैठक होगी, वहां कलेक्टरों की मौजूदगी में ही यह कमेटी तैयार कर दी जाएगी। यहां योग के विभिन्न आसन और क्रियाएं भी समझाई जाएंगी। सरकारी सेवको को इस प्राच्य विद्या के अभ्यास में पारंगत करने के लिए योग प्रशिक्षण प्रभारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आयोग में अफसरों का कहना है कि योग सिर्फ कलेक्टर कार्यालय तक सीमित नहीं रह जाएगा। जो मसौदा बनाया जा रहा है। उसके तहत प्रत्येक ब्लॉक तहसील, कचहरी थाना और पंचायत स्तर पर लगने वाले सरकारी स्कूल अस्पताल एवं अन्य कार्यालयों में भी शासकीय सेवक प्रतिदिन योग करेंगे। रोजाना योग के लिए बाकायदा कलेक्टर एक घंटे का समय का निर्धारित करेंगे। उसी समय के अनुसार सरकारी सेवक को योग करना होगा।