जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीनलैंड के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि ग्रीनलैंड की विशाल बर्फ की चादर काफी तेजी से पिघल रही है।

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अध्ययन के अनुसार, उत्तर-पश्चिम ग्रीनलैंड में नरेस स्ट्रेट के पूर्व में स्थित एक बड़ा पीटरमैन ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। इससे वैश्विक बर्फ की कमी और समुद्र के स्तर में वृद्धि पहले की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ सकती है। बता दें कि पिछले 20 सालों में ग्रीनलैंड में काफी बर्फ पिघल चुकी है।

तेजी से पिघल रहा पीटरमैन ग्लेशियर

कैलिफोर्निया इरविन विश्वविद्यालय में एक ग्लेशियोलॉजिस्ट एरिक रिग्नॉट ने इसे एक 'बुरी खबर' बताया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण ज्वार 'एक बहुत शक्तिशाली तंत्र' बन गया है। अध्ययन के मुताबिक, ग्रीनलैंड से बर्फ का पिघलना महासागरों में जल वृद्धि का अहम कारक है। बता दें कि ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से करीब 4,700 बिलियन टन बर्फ पिघल चुकी है। पीटरमैन ग्लेशियर के पिघलने की गति पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। बता दें कि इसके नीचे से पिघलने वाला पानी उत्तरी अटलांटिक से है और गर्म पानी को वहां पहुंचने में अधिक समय लगता है।

ग्रीनलैंड में तेजी से पिघल रही है बर्फ की चादर

ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर इतनी तेजी से पिघल रही है कि ये पूरे अमेरिका को डूबो सकता है। इसके पिघलने से समुद्र के जल स्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। ग्रीनलैंड के पिघले बर्फ से समुद्र के स्तर में 1.2 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रहे हैं ग्लेशियर

ग्लेशियर के पिघलने का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है। इससे बर्फ की चादर दिन पर दिन पतली होती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक ग्रीनलैंड का पश्चिमी तट खास तौर से प्रभावित हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये क्षेत्र वैश्विक औसत से तीन से चार गुना की दर से गर्म हो रहा है। बढ़ती गर्मी और गर्म हवा के कारण ग्रीनलैंड के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है। जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में महासागरों को सात मीटर से अधिक ऊपर उठाने के लिए पर्याप्त पानी है।