मध्यप्रदेश में सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने घोटालों की झड़ी लगा दी थी, कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही 15 महीने की सरकार में जनसंपर्क घोटाला, मोबाइल घोटाला, सिंचाई घोटाला, तबादला घोटाला आदि को अंजाम दिया गया। जनता की मेहनत की कमाई को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया, जबकि राज्य को विकास के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। कमलनाथ मध्यप्रदेश में करप्शननाथ बनकर उभरे, कांग्रेस का राज्य में विश्वास खत्म होने की एक वजह यह भी है कि जब भी राज्य की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा करके सत्ता सौंपी, कांग्रेस जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई। 15 महीने के कार्यकाल में कांग्रेस ने एक दर्जन से अधिक घोटाला कर दिए, जबकि विकास के नाम पर किसी एक भी अंतरराष्ट्रीय कंपनी के निवेश को आकर्षित नहीं किया जा सका, जिससे राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो पाते। अपनी बारी आने पर खुद को साबित करने में नाकाम कांग्रेस अब भाजपा की सफलता पर तंज कस रही है। जबकि जनता को पता है कि भाजपा को जब भी मौका दिया गया, पार्टी ने विकास कार्यो की ऐसी लंबी लकीर खींच दी, जिसे पार करना किसी भी पार्टी के बस की बात नहीं। कांग्रेस के कमलनाथ ने ही मध्यप्रदेश की जनता को राज्य में कमल खिलाने के लिए मजबूर किया है। सूत्रों की मानें तो 15 महीने के कार्यकाल में कांग्रेस ने इतने घोटाले कर दिए, जिसके बाद जनता हाथ का साथ देने के मूड में नहीं लग रही है। लोगों को राज्य का विकास चाहिए न कि घोटालों की सरकार।