नई दिल्ली। पार्किंसंस डिजीज एक बेहद गंभीर दिमागी समस्या है, जो वक्त के साथ और बिगड़ती जाती है। इसका कोई इलाज मौजूद न होने की वजह से इसके मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस गंभीर रोग के बारे में लोगों में जानकारी की काफी कमी है, जिस वजह से यह बीमारी कई लोगों के लिए मिस्टरी बनी रहती है और वे इसके मरीजों के प्रति संवेदनशील नहीं बन पाते हैं।

इसलिए हर साल अप्रैल के महीने को पार्किंसंस डिजीज अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस बारे में जागरूक बनाया जा सके और इसके लक्षणों की पहचान करके, जल्द से जल्द मदद दी जा सके और प्रभावित व्यक्ति के जीवन को काफी हद तक आसान बनाया जा सके। इस बीमारी के बारे में आपको और जागरूक बनाने के लिए हम इस आर्टिकल में पार्किंसंस डिजीज के लक्षण और उसके स्टेजेस के बारे में बताने वाले हैं। आइए जानते हैं इस बारे में।

क्या है पार्किंसंस डिजीज?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, पार्किंसंस डिजीज दिमाग की एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें इसका एक हिस्सा खराब होने लगता है। यह समस्या वक्त के साथ और अधिक गंभीर होने लगती है और इसके लक्षण और ज्यादा दिखने शुरू हो जाते हैं। इस कंडिशन में मांसपेशियों पर नियंत्रण, संतुलन, मूवमेंट, सोचने-समझने की क्षमता, मेंटल हेल्थ और सेन्स ऑर्गन्स को प्रभावित होती हैं।

यह कंडिशन आमतौर पर 60 साल या उससे अधिक उम्र में शुरू होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह कम उम्र में भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है। इस बीमारी में डॉक्टर व्यक्ति के लक्षण और स्टेज को देखकर उन्हें दवाई या थेरेपी आदि का सुझाव देते हैं, जिससे इस डिजीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

क्या हैं इसके स्टेज?

पहला स्टेज- पार्किंसंस डिजीज के सबसे पहले चरण में व्यक्ति को इसके काफी कम लक्षण देखने को मिलते हैं और ये लक्षण भी काफी माइल्ड होते हैं, जिसके कारण ये व्यक्ति के रोज के जीवन को प्रभावित नहीं करते हैं। इस चरण में व्यक्ति में नजर आने वाले लक्षण, जैसे कंपकंपाहट, मूवमेंट में तकलीफ आदि, को दवाइयों की मदद से ठीक किया जा सकता है।

दूसरा स्टेज- इस स्टेज में बीमारी गंभीर होनी शुरू हो जाती है, जिसकी वजह से व्यक्ति का रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होने लगता है। इसमें मांसपेशियों में अकड़न, कंपकंपाहट, असमान्य फेशियल एक्सप्रेशन, मूवमेंट में तकलीफ, याददाश्त कमजोर होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस स्टेज में व्यक्ति का पोस्चर बिगड़ने लगता है, जिसके कारण शरीर में दर्द की समस्या हो सकती है।

तीसरा स्टेज- इस स्टेज में इस बीमारी के लक्षण काफी बढ़ चुके होते हैं। इसमें व्यक्ति को चलने-फिरने या अन्य कामों में किसी और की मदद लेनी पड़ती है क्योंकि मांसपेशियों में अकड़न और उनपर नियंत्रण न होने की वजह से काम करने में तकलीफ होती है। इसके कारण व्यक्ति का संतुलन ठीक से नहीं बन पाता, गिरने की समस्या बढ़ने लगती है। इस बीमारी के अन्य लक्षण भी गंभीर रूप लेने लगते हैं।