डूंगरपुर । प्रदेश के आदिवासी एवं जंगल बाहुल्य वाले डूंगरपुर बांसवाड़ा जिलों के कई आबादी वाले गांव और स्थान पैंथर की भूख के चलते भयभीत है। पिछले पचास दिनो में  आधा दर्जन से ज्यादा पैंथर डूंगरपुर बांसवाड़ा के विभिन्न गांवों में नजर आए है,वही दो स्थानों पर तो लोगो ने गुस्साए ग्रामीणों ने पैंथर को ही मौत के घाट उतार दिया है।

बढ़ती गर्मी और पानी की कमी ने बढ़ाई इंसानों की वन्यजीवों से झड़प :
गत मानसून में औसत से कम हुई बरसात के चलते और बढ़ती गर्मी से पैंथर सरीखे वन्यजीव जंगलों से शहरी और गांवो क्षेत्र में आने लगे है जिससे यहां के निवासी भयभीत नजर आते है। उल्लेखनीय है कि डूंगरपुर में पिछले वन्यजीव वॉच के अनुसार 69 पैंथर नगरीय इलाको में नजर आए थे वही बांसवाड़ा में 74 बार पैंथर को शहरी क्षेत्रों में देखा गया। वही डूंगरपुर के नोकना गांव में नजर आए पैंथर को लोगो ने मौत के घाट उतार दिया।

डूंगरपुर बांसवाड़ा में ट्रेंकुलाइज करने वाली टीम नही,उदयपुर से आती है।
पिछले साल भर में ग्रामीणों से वन्यजीव की झड़प में सबसे बड़ी कमी ट्रेंकुलाइज टीम का इन दोनो जिलों में नही होना है,इस दौरान नजदीकी जिला मुख्यालय उदयपुर से जब तक बेहोश करने वाली एक्सपर्ट टीम आती है,या तो पैंथर ग्रामीणों और मवेशियों को घायल कर देता है या गुस्साए ग्रामीण पैंथर को मार डालते है। डूंगरपुर बांसवाड़ा में इस साल दो फरवरी, आठ फरवरी,दस मार्च,बारह मार्च, तेरह मार्च, सत्रह मार्च, को पैंथर विभिन्न गांवो और शहरी क्षेत्र में देखे गए जहां मवेशी  को पैंथर ने निशाना बनाया वही दो और दस फरवरी को पैंथर को ही हमले के बाद मार दिया गया।
दोनो जिलों  के डीएफओ मानते है बांसवाड़ा के बनिस्पत डूंगरपुर में जल स्त्रोत सूखने से पैंथर के हमले बढ़े है। ऐसे में वन क्षेत्र में हौज खुदवा कर टैंकर से पानी भरवाने की बात डूंगरपुर डीएफओ रंगास्वामी और बांसवाड़ा डीएफओ जिग्नेश शर्मा ने कही है।