वर्ष 2020 में धनबाद को-आपरेटिव बैंक से 1.55 करोड़ रुपये गलत तरीके से निकाल लिए जाने के मामले की जांच साइबर पुलिस ने पूरी कर ली है। जांच में पुलिस को पता चला है कि ये रुपये 106 बैंक खातों में भेजे गए थे। इनमें 90 खाते दिल्ली के अलग-अलग बैंकों के थे। साइबर ठगी के इस मामले में तीन वर्ष तक चली गहन जांच में पुलिस ने जब बैंक खाते के संचालकों की तलाश शुरू की तो पता चला कि संबंधित सभी लोगों ने फर्जी आइकार्ड के आधार पर बैंक में खाते खुलवाए थे। ठगी के पैसे खाते में ट्रांसफर होने के अगले दिन ही अपराधियों ने पूरे पैसे निकाल लिए। इसके बाद से खाते में कोई ट्रांजेक्शन कभी नहीं की गई।

आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर हुए थे पैसे

2020 के जून माह में सहकारिता बैंक के 1.55 करोड़ रुपये साइबर अपराधियों ने एक्सिस बैंक के माध्यम 106 बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिए थे। यह सारे पैसे आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर हुए थे। इन पैसों को दिल्ली के अलावा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र के भी कुछ बैंक खातों में भेजा गया था। मामला सामने आने के बाद साइबर पुलिस ने इसकी जांच शुरू की थी।

इलेक्ट्रानिक सामान खरीदने में खर्च किए गए पैसे

साइबर पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि कई साइबर अपराधियों ने इन पैसों से टीवी, फ्रिज, मोबाइल सहित दूसरे इलेक्ट्रानिक सामान खरीदे थे। पुलिस ने जब बिल की जांच की तो पता चला कि बिल में जो पते दिए गए थे, वह भी फर्जी थे। जांच में एक बात यह भी सामने आई कि जिन खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए थे, उन्होंने भी यह राशि कई अन्य बैंक खातों में भेजी थी। यानी इस राशि का बंटवारा कई लोगों में हुआ था, लेकिन जांच में वह सारे पते भी फर्जी पाए गए। साइबर डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा ने बताया कि दिल्ली और एनसीआर इन दिनों साइबर क्राइम का हब बन चुका है। जामताड़ा के रहने वाले कई साइबर अपराधी दिल्ली में छिप कर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। इस घटना में भी जामताड़ा के ही साइबर अपराधियों का हाथ है।