काठमांडू । नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड ने यह कह कर हंगामा खड़ा कर दिया है कि एक भारतीय कारोबारी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का प्रयास किया था। विपक्ष ने इस टिप्पणी को लेकर प्रचंड के इस्तीफे की मांग की है, लेकिन प्रधानमंत्री के करीबी का कहना है कि वह इस्तीफा नहीं देने वाले हैं। 
बता दें कि प्रचंड ने कहा था कि नेपाल में परिवहन उद्योग से जुड़े अग्रणी कारोबारी सरदार प्रीतम सिंह ने नेपाल-भारत संबंधों को मजबूत करने में विशेष और ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। प्रचंड ने पुस्तक के विमोचन पर आयोजित समारोह को यह टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा, ‘‘सरदार प्रीतम सिंह ने एक बार मुझे प्रधानमंत्री बनाने के प्रयास किए थे। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वह मुझे प्रधानमंत्री बनाने के लिए कई बार दिल्ली गए और काठमांडू में नेताओं के साथ कई दौर की वार्ता की।
प्रचंड के बयान की कई लोगों ने आलोचना की जिसके बाद संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री तथा सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री एक पुस्तक ‘रोड्स टू द वैली: द लीगेसी ऑफ सरदार प्रीतम सिंह इन नेपाल’ के विमोचन समारोह के दौरान सरदार प्रीतम सिंह के बारे में अपनी टिप्पणी को लेकर इस्तीफा नहीं देने वाले हैं। रेखा शर्मा ने कैबिनेट के फैसलों के बारे में कहा, प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसके लिए उन्हें इस्तीफा देना पड़े। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने उस समय में प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की जब संसद ऋणदाताओं को दंडित करने से संबंधित विधेयक पारित करने वाली थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने केवल संसद का ध्यान भटकाने के लिए प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
इस बीच, नेपाली प्रधानमंत्री के सचिवालय ने कहा कि उनकी टिप्पणियों की गलत व्याख्या की गई। प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार गोविंदा आचार्य द्वारा जारी बयान के अनुसार, टिप्पणियों का लाभ उठाकर राजनीतिक हितों को पूरा करने का प्रयास किया गया था और इस मामले ने सचिवालय का  गंभीर ध्यान आकर्षित किया था। बयान में कहा गया, सचिवालय ने प्रमुख विपक्षी दलों पर प्रधानमंत्री के उक्त बयानों के नाम पर संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया। संसद में अवरोध के परिणामस्वरूप, सूदखोरी प्रथा को अपराध घोषित करने के लिए विधेयक लाने का अध्यादेश रद्द कर दिया गया है, जिससे पीड़ित न्याय से वंचित हो गए हैं।