ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के साथ मानवाधिकार का प्रशिक्षण ले रहे विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों द्वारा थर्ड जेंडर के स्वास्थ्य अधिकारों एवं उनके लिए विशिष्ट शौचालयों के निर्माण के लिए दाखिल जनहित याचिका में न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार और नगर निगम से अब तक किए गए कार्यों के लेखा जोखा पर जानकारी मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

याचिकाकर्ता विधि छात्र विशाल द्विवेदी व कई अन्य छात्र जो विभिन्न विधि कालेजों के छात्र हैं, उन्होंने याचिका दाखिल कर थर्ड जेंडर को संविधान में मिले समस्त अधिकारों को दिए जाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में नालसा बनाम भारत सरकार के केस में थर्ड जेंडर को मान्यता दी है और कहा है कि इन्हें संविधान में दिए गए सभी अधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार होगा।

इसके अतिरिक्त उनको स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने तथा उसके लिए विशिष्ट शौचालय बनाने के लिए केंद्र ए राज्य सरकार व स्थानीय निकायों को आदेश भी दिया गया है। प्रयागराज में इनकी आबादी आठ हजार से ज्यादा है पर दस वर्ष बीत जाने के बाद भी इन्हें कुछ भी नही दिया गया है। इन्हें हर स्तर पर अपमानजनक स्थितियों व भेदभाव का सामना करना पड़ता है।