• संघ के ताजा सर्वे में भाजपा की स्थिति और हुई कमजोर, 160 सीटों पर भाजपा के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी, लक्ष्य 200 पार का, लाले पड़े 100 के भी
  • संघ ने सत्ता और संगठन को सौंपा कमजोर 160 सीटों पर काम करने का टारगेट
  • कमजोर सीटों पर भाजपा के साथ ही संघ के स्वयंसेवक भी संभालेंगे मोर्चा


नई दिल्ली । मप्र में भाजपा ने 51 फीसदी वोट के साथ 200 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है, लेकिन हकीकत यह है की पार्टी के सामने बहुमत का आंकड़ा छूना भी मुश्किल बना हुआ है। इसका खुलासा सत्ता और संगठन को सौंपी गई संघ की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, संघ ने अपनी रिपोर्ट में उन 160 सीटों पर सत्ता और संगठन को काम करने के लिए कहा है जहां भाजपा काफी कमजोर है। वहीं यह भी बताया गया है कि वर्तमान में जिन 127 सीटों पर भाजपा काबिज है उनमें से केवल 70 सीटों पर ही पार्टी जीतने की स्थिति है। रिपोर्ट की मानें तो भाजपा वर्तमान समय में 100 सीटें भी नहीं जीत रही है। गौरतलब है कि भाजपा ने अभी तक 3 सर्वे और संघ ने करीब आधा दर्जन सर्वे करवाया है, जिसमें भाजपा की स्थिति साल दर साल कमजोर होती जा रही है। यही कारण है कि भाजपा के बड़े पदाधिकारियों के साथ ही संघ के नेताओं का फोकस मप्र पर है। प्रदेश में सरकार और मंत्रियों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है। इसको खत्म करने के लिए पार्टी और संघ कई कार्यक्रम बनाकर सक्रिय हैं। लेकिन उसके बाद भी स्थिति सुधर नहीं रही है।

160 सीटों पर गड़बड़ाया गणित
एक तरफ मप्र में भाजपा गुजरात की तरह रिकॉर्ड जीत हासिल करने के फॉर्मूले पर काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ संघ ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कहा गया है कि पार्टी प्रदेश की 230 में से 160 सीटों पर कमजोर  है। दरअसल, साल 2018 के आम चुनाव में नंबर गेम में पिछडऩे के बाद भाजपा उस समय विधानसभा चुनाव में हारी हुई 103 सीटों को जीतने की रणनीति बनाकर काम कर रही थी। लेकिन संघ ने भाजपा के कब्जे वाली 57 सीटों को भी कमजोर बताकर पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अब भाजपा के सामने बहुमत तक पहुंचने के लिए इन 160 सीटों में से 47 सीट जीतने की चुनौती है।

उपचुनाव वाली सीटों पर भी बिगड़ा खेल
प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का आलम यह है कि उपचुनाव वाली सीटों पर भी पार्टी की स्थिति खराब है। गौरतलब है कि 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने 2018 में हारी इन 21 सीटों जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांण्डेर, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, पृथ्वीपुर, बड़ामलहरा, अनूपपुर, सांची, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, जोबट, बदनावर, सांवेर और सुवासरा को जीत लिया है। लेकिन पार्टी इन्हें भी चुनौतिपूर्ण मानकर चल रही है।

कब्जे वाली 57 सीटों पर भाजपा कमजोर
भाजपा वर्तमान समय में जिन 127 सीटों पर काबिज है, उनमें से 57 सीटों पर हार का खतरा मंडरा रहा है। ये सीटें हैं- विजयपुर, जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांडेर, पोहरी, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोकनगर, मुंगावली, बीना, नरियावली, टीकमगढ़, निवाड़ी, जतारा, पृथ्वीपुर, खरगापुर, चंदला, मल्हरा, जबेरा, पवई, नागौद, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, देवतालाब, चुरहट, सीधी, सिंगरौली, ब्यौहारी, अनूपपुर, मुडवारा, सिहोरा, मंडला, परसवाड़ा, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, सांची, बासौदा, हाटपिपल्या, मांधाता, पंधाना, नेपानगर, बड़वानी, जोबट, धार, बदनावर, इंदौर-5, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम ग्रामीण, जावरा, सुवासरा, मनासा, नीमच आदि।

ये 103 विधानसभाएं भाजपा के लिए बनी चुनौती
श्योपुर, सबलगढ़, सुमावली, मुरैना, दिमनी, भिंड, लहार, गोहद, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेंवड़ा, करेरा, पिछोर, चाचौड़ा, राघोगढ़, चंदेरी, देवरी, बंडा, महाराजपुर, राजनगर, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, रैगांव, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, बैहर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, लखनादौन, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर,  छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा, मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, उदयपुरा, विदिशा, भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, आगर, शाजापुर, कालापीपल, सोनकच्छ, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, अलीराजपुर, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी, देपालपुर, इंदौर -1, राऊ, नागदा, तराना, घट्टिया, बडऩगर, सैलाना, आलोट।