भोपाल । मप्र का बजट सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। 1 मार्च को शिवराज सरकार अपना बजट पेश करेगी। लेकिन विसंगति यह है कि प्रदेश सरकार के अधिकारी-मंत्री अपने विभागों का पूरा बजट खर्च नहीं कर पाए हैं।  प्रदेश का पंचायत, खाद्य और वाणिज्यिक कर विभाग तो ऐसे हैं जो आधा बजट भी खर्च नहीं कर पाया है। वहीं स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विभाग भी अपना पूरा बजट खर्च नहीं कर पाए हैं।
मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस विकास पर रहता है, लेकिन उनके निर्देशों के बावजुद विभाग अपना पूरा बजट खर्च नहीं कर पाए हैं। वहीं मप्र सरकार का 2023-24 का बजट एक मार्च को आ रहा है। सभी विभाग ने कम से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी डिमांड की है, जबकि वास्तविकता यह है कि पिछले साल मिले पैसे को ही विभाग पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए। स्वास्थ्य, कृषि, बिजली के साथ शिक्षा जैसे प्राथमिकताओं वाले क्षेत्रों में भी पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हुआ।

1.17 लाख करोड़ सरकार के खजाने में
वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक के आंकड़े बता रहे हैं कि सभी विभागों को दो सप्लीमेंट्री के साथ 3,05,333.21 करोड़ रुपए बजट दिया गया, जिसमें 2,87,051.22 करोड़ रुपए जारी भी किए, लेकिन विभाग 1,69,524.24 करोड़ ही खर्च कर यानि 1.17 लाख करोड़ रुपए अभी भी सरकार के खजाने में रखे हैं। सरकार ने जोर शोर से हैप्पीनेस विभाग भी खोला था, जिसे इस साल सिर्फ 5 करोड़ रुपए मिले। यह महकमा भी 2 करोड़ 64 लाख रुपए ही खर्च कर पाया। तीन दिन बाद एक मार्च को मप्र का वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट आ रहा है। मंत्रालय सूत्र बता रहे हैं कि यह 3 लाख 20 हजार करोड़ से अधिक हो सकता है।

वाणिज्यिक कर सबसे पीछे
यह हाल भी तब है जब मुख्यमंत्री लगातार विभागों की समीक्षा कर अफसरों को निर्देशित करते रहते हैं। वे विकास योजनाओं में तेजी लाते हुए बजट खर्च करने को कहते हैं। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भी ज्यादातर बड़े विभागों ने 60-70 फीसदी से अधिक पैसा खर्च कर दिया, लेकिन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, राजस्व और वाणिज्यिक कर पीछे चल रहे हैं। खाद्य विभाग और वाणिज्यिक कर तो आधा पैसा भी अभी खर्च नहीं कर पाए। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि काम चल रहे हैं। कुछ बाकी भी हैं जो जल्द पूरे होंगे। अभी 31 मार्च तक का समय है। पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि 850 सड़कों की मजबूती का बड़ा काम चल रहा है। राशि थोड़ा देर से मिली। हम अपना पूरा बजट खर्च कर लेंगे।

सीएम के निर्देश पर नहीं दिखाई मुस्तैदी
मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भी राज्य में कई विभागों के आला अफसर तथा मंत्रियों ने सरकार की मंशा के मुताबिक बजट से कार्य कराने में मुस्तैदी नहीं दिखाई। और अब तो कई विभाग अब अपना पूरा बजट खर्च कर पाने की स्थिति में भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार ऊर्जा विभाग को 15,523 करोड़ रूपए आवंटित हुए थे उसमें से वह 74.43 प्रतिशत बजट ही खर्च कर पाया। इसी तरह कृषि विभाग ने 14,874 करोड़ में से 80.71 प्रतिशत , स्वास्थ्य विभाग ने 10,413 करोड़ में से 77.79 प्रतिशत, नगरीय विकास विभाग ने 13,368 करोड़ में से 85.19 प्रतिशत, लोक निर्माण विभाग ने 10,494 करोड़ में से 73.21 प्रतिशत, स्कूल विभाग ने 27,565 करोड़ में से 79.68 प्रतिशत, पंचायत विभाग ने 6,469 करोड़ में से 47.68 प्रतिशत, जनजातिय विभाग ने 10,777 करोड़ में से 71.68 प्रतिशत, सामाजिक न्याय विभाग ने 3,920 करोड़ में से 91.65 प्रतिशत, खाद्य आपूर्ति विभाग ने 1,155 करोड़ में से 45.80 प्रतिशत, जल संसाधन विभाग ने 6,838 करोड़ में से 81.54 प्रतिशत, पीएचई विभाग ने 8,647 करोड़ में से 66.95 प्रतिशत, महिला बाल विकास विभाग ने 5,607 करोड़ में से 69.18 प्रतिशत, मेडिकल एजुकेशन विभाग ने 2,802 करोड़ में से 85.83 प्रतिशत, अल्पसंख्यक व ओबीसी विभाग ने 1,625 करोड़ में से 64.43 प्रतिशत, अनुसूचित विभाग ने 1,760 करोड़ में से 55.73 प्रतिशत, ग्रामीण विकास विभाग ने 21,390 करोड़ में से 76.76 प्रतिशत, गृह विभाग ने 9,953 करोड़ में से 78.99 प्रतिशत, वाणिज्यिक कर विभाग ने 2,030 करोड़ में से 21.57 प्रतिशत, धर्म-धर्मस्व विभाग ने 109 करोड़ में से 71.55 प्रतिशत, राजस्व विभाग ने 8,963 करोड़ में से 55.90, वन विभाग ने 3,354 करोड़ में से 85.04 प्रतिशत ही खर्च किया है।