नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयोक्तों की नियुक्ति संबंधित विधेयक पेश किया है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति इनका चयन करेगी। इस समिति में एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को शामिल किया गया हैं। वहीं प्रधान न्यायाधीश को इसमें जगह नहीं मिलेगी। इस पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलकर कहा है कि भाजपा अराजकता फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। 
टीएमसी सुप्रीमो ने लिखा, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली तीन सदस्यीय कमेटी में सीजेआई की भूमिका अहम थी। हम सीजेआई की जगह पर केंद्रीय मंत्री को पैनल में लेने के फैसले का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि सीजेआई को पैनल से बाहर करके भाजपा मनमानी चाहती है। जिससे वोट मैनिपुलेशन भी किया जा सके। उन्होंने कहा, भारत को न्यायपालिका की इस तौहीन पर सवाल करना चाहिए। क्या ये न्यायपालिका को मंत्रियों द्वारा चलाने वाला कंगारू कोर्ट बना देना चाहते हैं। हम न्यायपालिका के आगे इंडिया के लिए हाथ जोड़ते हैं। माइ लॉर्ड कृपया हमारे देश को बचा लीजिए।
कांग्रेस पहले से ही विधेयक का विरोध कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि लालकृष्ण आजवाणी ने 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि सीईसी और ईसी के चयन वाले पैनल में दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई होने चाहिए। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, यह बिल संविधान का उल्लघन है। न्यायपालिका और लोगों को अधिकार है कि निष्पक्ष तरीके से सरकार चुनें। आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि मुझे हैरानी है कि हम जिन भी चीजों को मानते थे कि यह संवैधानिक और नैतिक है ये उन सारी चीजों को बदल देना चाहते हैं।