मुंबई : महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले को लेकर शिंदे और ठाकरे गुट के बीच लगातार जुबानी जंग जारी है। ठाकरे गुट के कई नेता शिंदे सरकार को घरने में लग गए हैं। इसी क्रम में आज आदित्य ठाकरे का भी बयान सामने आया है। आदित्य ठाकरे ने कहा है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसे वहीं सुलझाना चाहिए, हिंसा नहीं होनी चाहिए।  'असंवैधानिक' तरीके से बनी शिंदे सरकार स्टैंड नहीं ले पा रही है।  

महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों भाजपा शासित राज्य हैं, केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए। इसके अलावा ठाकरे ने मुंबई में बढ़ते प्रदूषण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि शिंदे सरकार इस मामले पर भी खामोश है। जनसरोकार से जुड़े मसले पर उचित कदम उठाने की जरूरत है लेकिन शिंदे सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।

जानें क्या है सीमा विवाद
बेलगावी सीमा विवाद या बेलगांव सीमा विवाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के भारतीय राज्यों के बीच एक विवाद है।  वर्तमान में बेलगावी कर्नाटक का एक जिला है, लेकिन ब्रिटिश भारत में, वर्तमान गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों के साथ, बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। 1881 की जनगणना में बेलागवी जिले में 864,014 निवासियों की आबादी दर्ज की गई थी। उनमें से 556,397 (64.39 प्रतिशत) कन्नड़ भाषी थे और 225,008 (26.04 प्रतिशत) मराठी बोलते थे।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ, पूर्व बॉम्बे प्रेसीडेंसी का बेलागवी जिला बॉम्बे राज्य का हिस्सा बन गया। 1956 में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम ने बेलगावी जिले को नवगठित मैसूर राज्य ( अब कर्नाटक) में शामिल कर लिया। इसने बेलागवी को अपने बहुसंख्यक मराठी भाषियों के साथ कन्नड़-बहुसंख्यक कर्नाटक के भीतर रखा। इसके बाद से ही दोनों राज्यों में मतभेद शुरू हो गया।