अस्पतालों में लंग्स कैंसर के मामले में वृद्धि देखी जा रही है, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक लंग्स कैंसर मिल रहा है। हर माह जिले में करीब 25 नए मामले लंग्स कैंसर के मिल रहे हैं। इसमें जो नए तथ्य सामने आए हैं उसमें देखा गया है कि सिर्फ धूम्रपान से ही लंग्स कैंसर नहीं होता बल्कि आज के जो बदलती जीवनशैली है उसमें लंग्स कैंसर के मामले अधिक आ रहे हैं। पल्मोनोलाजिस्ट निशिथ कुमार बताते हैं कि महिलाओं में लंग्स कैंसर के मामले मिलना काफी आम होता जा रहा है। इसमें जो कारण देखा जा रहा है उसमें वायु प्रदूषण एक मुख्य कारण है, साथ ही प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड और भोजन में प्रिजर्वेटिव जैसे केमिकल का उपयोग फेफड़े को भी नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे लंग्स कैंसर जैसी बीमारी सामने आ रही है।

अगर खांसी में खून आए और छाती में दर्द हो तो हो सकता है लंग्स कैंसर 

अगर खांसी आने पर मुंह से खून आए और छाती में दर्द हो तो यह लंग्स कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। डॉ. निशिथ ने बताया कि इसके अलावा अगर परिवार के इतिहास में किसी को भी कैंसर हुआ हो तो भी जांच कराना जरूरी है। कई बार लोग सस्याओं को हल्के में लेते हैं और जब पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

कोरोना के बाद बढ़ी है समस्या

उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद भी फेफड़ों की समस्या बढ़ती जा रही है। हल्के बीमार होने पर भी इसका असर फेफड़ों पर पड़ रहा है, समय पर इलाज नहीं होने से बाद में समस्या बढ़ जा रही है। फेफड़ों में होने वाला कैंसर वयस्कों में अधिक देखा जाता रहा है। वैसे तो हमारे शरीर में एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली होती है जो फेफड़ों की रक्षा करने, गंदगी और कीटाणुओं को दूर रखने के लिए डिजाइन की गई है। लेकिन लाइफस्टाइल की गड़बड़ आदतों के कारण फेफड़ों के कैंसर के रोगी बढ़ते जा रहे हैं। लंग्स कैंसर को लेकर लोगों को जागरूक करने और इसके समय रहते निदान और इलाज को लेकर शिक्षित होने की जरूरत है।