पशुओं में फैलने वाले लंपी वायरस ने महामारी का रूप धारण कर लिया है। दूसरी तरफ इससे बचाव के लिए पशुपालन विभाग के पास समुचित संख्या में टीके नहीं हैं। नतीजतन पशुओं की अकाल मौत हो रही है।

चतरा जिले में पिछले तीन सप्ताह में ही करीब आठ सौ पशुधन की मौत हो गई है। हजारों बीमार हैं। वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप चतरा के हंटरगंज, कान्हाचट्टी, कुंदा, लावालौंग, सिमरिया एवं गिद्धौर प्रखंड में देखा जा रहा है। यह वायरस ज्यादातर गाय और बैलों को शिकार बना रहा है। इससे संक्रमित होने के बाद एक से डेढ़ सप्ताह के अंदर पशुओं की मौत हो जा रही है।

पशुओं के उपचार के लिए पशुपालक हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं है। ग्रामीणों में पशुपालन अधिकारियों के प्रति भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि पशुओं का नियमित टीकाकरण नहीं हो रहा है। यदि टीकाकरण होता, तो वायरस महामारी का रूप न लेता। टीकाकरण नहीं होने के पीछे मांग के अनुसार टीके का अभाव बताया जा रहा है।

चतरा का ही हाल दुमका, गोड्डा और साहिबगंज का भी है, जहां लंपी वायरस के प्रकोप से मवेशियों की मौतें हो रही हैं। इन जिलों के हर प्रखंड से इसके मामले सामने आ रहे हैं।