लोस चुनाव: मप्र में छोटे दलों के समक्ष है बडी चुनौती
भोपाल । आगामी लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में छोटे दलों के समक्ष बडी चुनौती है। मध्यप्रदेश में अपने वजूद के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी और अन्य छोटे दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए यह दल लोकसभा चुनाव में कोई कोरकसर बाकी नहीं रखना चाह रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के बाद प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तीसरी बड़ी पार्टी बसपा रही है। इस चुनाव में भी पार्टी उत्तर प्रदेश से लगी सीटों में अपनी ताकत लगा रही है। पार्टी की तैयारी है कि भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आने के बाद ही जातिगत समीकरण देखते हुए प्रत्याशी घोषित किए जाएं। लोकसभा चुनाव में बसपा का अधिकतम मत प्रतिशत 1998 में 8.7 रहा है। इसके बाद से यह लगातार घटते हुए वर्ष 2019 में 2.38 प्रतिशत तक आ गया।पार्टी 1991 में एक और 1996 में दो रीवा और सतना लोकसभा सीटें जीती थी। इसके बाद 2009 में एकमात्र रीवा लोकसभा सीट जीत पाई। उधर, समाजवादी पार्टी पूरी ताकत खजुराहो में लगा रही है। कांग्रेस से समझौते के अंतर्गत खजुराहो सीट सपा को मिली है।पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा 230 में से 181 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें पार्टी को 3.4 प्रतिशत मत मिले थे। 18 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। सपा 71 सीटों पर मैदान में उतरी थी, जिसमें एक छोड़ सभी पर जमानत चली गई थी। पार्टी को 0.46 प्रतिशत मत मिले थे। आप ने 66 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे।पार्टी को 0.54 प्रतिशत मत मिले थे। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. रमाकांत पिप्पल ने कहा कि विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा में सामने आया था कि संगठन की कुछ कमजोरियां रही हैं। उन्हें दूर किया गया है। संगठन में निष्क्रिय लोगों को हटाकर नए और कर्मठ लोगों को स्थान दिया गया है। प्रदेश भर में साइकिल रैली निकाली गई। प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। बूथ स्तर पर भी प्रबंधन किया जा रहा है। चुनाव के पहले कांग्रेस और भाजपा छोड़ने वाले नेताओं पर नजर बसपा और आप की है। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के कई पूर्व विधायक बसपा में शामिल हुए थे। पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा था। इनमें चुनाव तो कोई नहीं जीता पर 56 हजार तक मत उन्हें मिले। हालांकि, विधानसभा चुनाव जैसी स्थित लोकसभा चुनाव में नहीं दिख रही है। दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा चार विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। इनमें सिरमौर, नागोद, सुमावली और दिमनी शामिल हैं। पार्टी 81 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही, जिनमें अधिकतम 30 हजार तक मत उन्हें मिले।बसपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, पर लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी। इसके अतिरिक्त आम आदमी पार्टी 10, चार सीटों पर समाजवादी पार्टी और 19 सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीसरे नंबर पर थी। प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सक्रियता भी कम दिख रही है। सपा खजुराहो सीट के माध्यम से प्रदेश में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में है। इस सीट के लिए प्रत्याशी के नाम निर्धारित होने के बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव व अन्य केंद्रीय पदाधिकारियों के दौरे होंगे। सपा की स्थिति भी प्रदेश में लगातार कमजोर हो रही है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 2.83, 2014 में 0.75 और 2019 में 0.22 प्रतिशत मत ही मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो सीट से सपा उम्मीदवार वीर सिंह पटेल को 4,00,77 (3.19 प्रतिशत) मत ही मिले थे। कांग्रेस को तीन लाख 18 हजार 753 मत और भाजपा उम्मीदवार विष्णु दत्त शर्मा को आठ लाख 11 हजार 153 मत मिले थे। इस तरह तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के संदर्भ में भी देखें तो इन छोटे दलों के लिए लोकसभा चुनाव में चुनौती बड़ी है। इन दलों का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर इनकी छवि को प्रभावित करेगा।