हिंदू धर्म में बनारस को धार्मिक नगरी कहा जाता है यहां के सभी 84 घाट महत्वपूर्ण माने जाते हैं और सबका अपना महत्व है बनारस के किसी घाट की आरती प्रसिद्ध है तो किसी घाट का स्नान, लेकिन यहां पर कुछ ऐसे भी घाट है जहां केवल दाह संस्कार किया जाता है और इन्हीं में से एक घाट है मणिकर्णिका घाट जिसे बेहद खास माना जाता है

मान्यता है कि इस घाम में मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व अधिक है तो आज हम आपको बनारस के मणिकर्णिका घाट के बारे में बता रहे हैं जहां भगवान शिव ने अपनी पत्नी यानी माता सती का अंतिम संस्कार किया था तो आइए जानते हैं।

बनारस में स्थित मणिकर्णिका घाट को अंतिम संस्कार के लिए पवित्र माना जाता है ऐसे में यहां पर हर समय चिंताएं जलती रहती है ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव शंकर ने इस घाट को वरदान दिया है कि इस घाट पर जिनका अंतिम संस्कार किया जाएगा उन्हें असीम और अनंत शांति की प्राप्ति होगी मृत्यु पश्चात इनकी आत्मा को सुख का अनुभव होगा। मणिकर्णिका घाट को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमें बताया गया है कि इस घाट का नाम मणिकर्णिका कैसे पड़ा।

कहते हैं कि एक बार माता पार्वती ने शिव से काशी भ्रमण की इच्छा व्यक्त की काशी भ्रमण के दौरान शिव ने स्नान के लिए एक कुंड खोदा, उस कुंड में स्नान के समय पार्वती माता के कान की बाली का एक मणि टूट कर गिर गया और तभी से इस कुंड को मणिकर्णिका के नाम से जाना जाने लगा। मान्यता है कि गंगा के सभी घाटों में स्नान किया जा सकता है लेकिन मणिकर्णिका घाट में स्नान करना वर्जित होता है लेकिन कार्तिक के पावन महीने में बैकुण्ठ चतुर्दशी पर यहां स्नान किया जा सकता है ऐसा करने से जातक को सभी तरह के पापों से राहत मिल जाती है इस घाट पर वैशाख स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।