नई दिल्ली । कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। जबकि डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी नेतृत्व के फैसले के बारे में बताया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार में सिर्फ 1 डिप्टी सीएम होगा, ​डीके उपमुख्यमंत्री होने के साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहने वाले हैं। वह अगले साल होने वाले आम चुनाव की समाप्ति तक इस पद पर काबिज रहने वाले हैं। कर्नाटक की नई सरकार का शपथ ग्रहण 20 मई को बेंगलुरु के कांतीरवा स्टेडियम में होगा। 
वेणुगोपाल ने कांग्रेस को प्रचंड बहुमत देने के लिए कर्नाटक की जनता का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए सभी ने बहुत मेहनत की है। कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती। गुरुवार शाम को बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक होगी। कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा विधानपरिषद सदस्य और सांसद बैठक में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हम कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के सभी नेताओं को आमंत्रित कर रहे हैं। 
डीके ने अपने आधिकारिक हैंडल से सिद्धारमैया के साथ फोटो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘कर्नाटक का सुरक्षित भविष्य और हमारे लोगों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और हम इसकी गारंटी देने के लिए हम एकजुट हैं। सिद्धारमैया ने भी डीकेएस और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ अपनी फोटो ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, कन्नडिगों के कल्याण की रक्षा के लिए हमारे हाथ हमेशा एकजुट रहने वाले है। कांग्रेस पार्टी एक परिवार के रूप में राज्य में एक जनोन्मुख, पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने और हमारी सभी गारंटियों को पूरा करने के लिए काम करेगी। 
इसके पहले डीके के भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने आलाकमान के फैसले पर प्रतिक्रिया देकर असंतुष्टता जाहिर की। उन्होंने कहा, मैं पूरी तरह से खुश नहीं हूं, लेकिन कर्नाटक के हित में हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहते थे। इसलिए डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम स्वीकार करना पड़ा। 
इधर, डीके ने कहा, पार्टी के व्यापक हित में…क्यों नहीं। आलाकमान ने फैसला किया है। कर्नाटक के लोगों के सामने कांग्रेस पार्टी की, हमारी प्रतिबद्धता है। आगे संसदीय चुनाव हैं। इसकारण, मुझे एआईसीसी अध्यक्ष और गांधी परिवार के सामने झुकना पड़ा। पार्टी के व्यापक हित में (मैं फॉर्मूले के लिए सहमत हूं) और क्यों नहीं, क्योंकि कभी-कभी बर्फ पिघलनी चाहिए।