मंगा सिंह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से दर्ज फर्जी केस में आठ वर्षों से जेल में बंद था। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने मंगा सिंह के विरुद्ध दर्ज मामले को निरस्त करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इसके साथ ही अदालत ने मुआवजा देने की भी बात कही।

अदालत ने जेल में रहने की अवधि को देखते हुए प्रार्थी को आठ लाख रुपये का भुगतान एनसीबी के डीजी को करने का निर्देश दिया है।

2015 में रांची में दर्ज हुआ फर्जी मामला

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने अदालत को बताया कि एनसीबी के अधिकारियों ने फर्जी तरीके से मंगा सिंह सहित दो के खिलाफ वर्ष 2015 में रांची में प्राथमिकी दर्ज की थी।

एनसीबी के अधिकारियों ने प्रार्थी को छह अक्टूबर 2015 को बिहार के गया जिला के एक ढाबे से पकड़ा था। एनसीबी की टीम उसे रांची लाई और उस सहित दो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

बिना किसी अपराध के आठ वर्ष जेल में

गया पुलिस ने इससे संबंधित एक मामले में जांच की तो पाया कि एनसीबी के मंगा सिंह के खिलाफ फर्जी केस किया है। प्रार्थी बिना किसी अपराध के आठ वर्ष जेल में रहा।

फर्जी केस को देखते हुए इस केस निरस्त किए जाने की मांग की गई। बता दें कि प्रार्थी मंगा सिंह की ओर से एनसीबी में केस को निरस्त करने और बिना अपराध के जेल में रहने पर मुआवजे की मांग की गई थी।