अमृतसर। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा है कि श्री गुरु हरगोबिंद साहिब की तरफ से मीरी-पीरी की किरपानें धारण कर सिख कौम को दिया उक्त सिद्धांत आध्यात्मिकता से जोड़ने के साथ-साथ मजलूमों की रक्षा करने को प्रेरित करता है।

मीरी-पीरी दिवस के मौके पर श्री अकाल तख्त साहिब पर आयोजित धार्मिक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि छठे पातशाह ने सिखों को जहां शस्त्रधारी होने का आदेश दिया था वहीं उस समय संगत को अच्छी नस्ल के घोड़े एवं शस्त्र भेंट करने के हुक्म भी दिए थे। इसका मुख्य मकसद सिख कौम को जुल्म के खिलाफ लामबंद करना था।

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख एवं शस्त्र कभी भी अलग नहीं हो सकते। उन्होंने सिखों को पांच ककारों का धारणी होने का फरमान जारी किया है। इस मौके पर श्री अकाल तख्त साहिब से श्री गुरु हरगोबिंद साहिब से संबंधित मीरी-पीरी की ऐतिहासिक तलवारों को संगत को दिखाया गया।

सिखी के प्रचार के लिए एकजूट होने की अपील

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख कौम से आपसी विचारक मतभेद एवं धड़ेबंदी को अलग रखते हुए सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए एकजूट होकर प्रयास करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कौम को मतभेद भुलाकर श्री अकाल तख्त की अगुवाई में एकजूट हो जाना चाहिए। इस मौके पर संगत को श्री गुरु हरगोबिंद साहिब से संबंधित मीरी-पीरी की किरपानों के दर्शन भी संगत को करवाए गए।

इस मौके पर श्री अकाल तख्त साहिब के हैडग्रंथी ज्ञानी गुरमख सिंह एवं ज्ञानी मलकीत सिंह, एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह, सदस्य हरजात सिंह सुल्ताविंड, मैनेजर सतनाम सिंह मांगासराए, सचिव कुलविंदर सिंह रमदास, एसजीपीसी के प्रवपक्ता हरभजन सिंह वक्ता, मैनेजर सुखराज सिंह, उपसचिव गुरदयाल सिंह मौजूद थे।