बेंगलुरु । कर्नाटक में भाजपा व कांग्रेस के बीच व्याप्त असंतोष को देखते हुए जनता दल सेक्युलर खुश हो रहा है। दल को लग रहा है कि दोनों पार्टियों के आंतरिक असंतोष का फायदा उसे मिल सकता है। विधानसभा त्रिशंकु बनी तो पहले की तरह मुख्यमंत्री पद उसके पास भी आ सकता है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आज से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सत्ता की दावेदारी जहां भाजपा पूरे दमखम से कर रही है तो वहीं कांग्रेस इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है कि सत्ता में आने की बारी उसकी है। हालांकि दोनों दलों में टिकटों को लेकर जो असंतोष दिख रहा है उससे जनता दल सेक्युलर के चेहरे पर खुशी नजर आ रही है। जहां तक भाजपा में मचे असंतोष की बात है तो पार्टी के कई वरिष्ठ नेता रूठ गये हैं, कुछ ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है तो कोई खुल कर मीडिया के सामने रोते हुए अपनी पीड़ा बयां कर रहा है तो कोई दूसरी पार्टी में जाने की तैयारी कर रहा है तो कोई निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। यदि भाजपा ने उम्मीदवारी हासिल नहीं कर पाने वाले लोगों को जल्द नहीं मनाया और असंतोष पर काबू नहीं किया तो सत्ता में लौटने की उसकी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।
गौरतलब है कि भाजपा ने पहली सूची में 189 उम्मीदवारों और दूसरी सूची में 23 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। पार्टी को अब भी 12 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल है। वहीं, दस्तावेजों की पड़ताल 21 अप्रैल को की जाएगी, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 24 अप्रैल है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को एक ही चरण में मतदान होगा। मतगणना 13 मई को की जाएगी।
वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला कर ‎‎लिया है। उन्होंने बेलगावी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा ‎कि मैंने निश्चित रूप से एक निर्णय लिया है। मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है। कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच तीन बार के विधायक 63 वर्षीय लक्ष्मण सावदी ने कहा कि वह मजबूत निर्णय लेंगे और शुक्रवार से इस पर काम करना शुरू कर देंगे। हम आपको बता दें कि भाजपा नेता और पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली का समर्थन रखने वाले मौजूदा विधायक महेश कुमाथल्ली को बेलगावी जिले के अथानी से टिकट दिया गया है। महेश कुमाथल्ली पाला बदलने वालों के उस समूह में शामिल थे जिनमें जारकीहोली भी शामिल थे। इनके पाला बदलने से भाजपा को कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को गिराने और 2019 में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाने में मदद मिली थी।