नई दिल्ली । हिंदुओं के अहम पवित्र स्‍थल जम्मू स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। इसमें बच्‍चों से लेकर बुजुर्ग तक माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। लेकिन कटरा से लेकर माता वैष्‍णो देवी भवन तक की कई किलोमीटर की पर्वत यात्रा बड़ी मुश्किलों भरी होती है, इसके बाद बच्‍चों, बुजुर्गों और दिव्‍यांगजनों के लिए यह यात्रा काफी कठिन होती हैं। हेलीकॉप्‍टर, खच्‍चर या पालकी के द्वारा यह यात्रा कर पाना भी बहुत श्रद्धालुओं के लिए इसलिए भी कठिन होता है, क्‍योंकि यह काफी खर्चीला होता है। इसके बाद में श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी समस्‍या पर्वत की पैदल यात्रा करना होता है। इसमें सरकार की तरफ से इसका हल निकाल लिया गया है। अब जल्‍द ही लाखों श्रद्धालु कटरा से वैष्‍णो देवी भवन तक की यात्रा चंद मिनटों में पूरी कर सकते हैं। इसमें उनके लिए खर्च भी बेहद कम आने वाला है। 
दरअसल कई सालों से यहां एक ऐसी सवारी की मांग उठती रही है, जो आसानी से लोगों को कटरा से भवन तक पहुंचा सके। इसके बाद रोप वे निर्माण को लेकर सरकार की ओर से प्रोजेक्‍ट की प्रकिया शुरु कर दी गई हैं। 250 करोड़ की लागत वाली रोप वे परियोजना की प्रक्रिया अंतत: शुरू हो गई है। खासबात यह है कि रोप वे के बन जाने के बाद से कई घंटों और थकान भरी यह यात्रा बेहद आसान होगी। रोप वे से यह यात्रा कई घंटों से सिमटकर केवल 6 मिनट की ही रह जाएगी। इस रोप वे की लंबाई 2.4 किमी होगी। रोपवे के लिए ने बोली आमंत्रित की है। 
रोप वे की यह परियोजना 3 साल में बनकर तैयार होगी। रोप वे की शुरुआत कटरा स्थित बेस कैंप ताराकोट से शुरू होगी। यह माता वैष्‍णो देवी के मंदिर के करीब सांझी छत तक जाएगी। रोप वे में गोंडोला केबल कार सिस्टम लगाया जाएगा। गोंडोला केबल कार सिस्‍टम को एरियल रोप वे के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का हवाई केबल कार सिस्टम होता है। इसमें एक केबिन पहाड़ों या खाड़ियों में एक जगह से दूसरी जगह कई तारों के जरिये यात्रा करता है। इसमें टू वे तार व्यवस्था होती है। दोनों केबिन एक कर्षण यानी ट्रेक्शन तार के द्वारा मजबूती से जुड़े होते हैं। दो साल पहले माता वैष्णो देवी मंदिर में त्रिकुटा पर्वत से ऊपर पहाड़ पर स्थित भैरों मंदिर के लिए एक रोप वे की शुरूआत की गई थी, जोकि काफी सफल रही है। इसके लिए थकान और कठिनाईयों भरा भैरों मंदिर का सफर बेहद आसान हो गया है। इस रोप वे के बन जाने से न केवल श्रद्धालुओं के लिए बेहद आसानी हो जाएगी, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा भी करेगा।