भोपाल । रबी सीजन में बिजली की खपत सर्वाधिक रहती है। अक्टूबर की शुरुआत में प्रदेश की  बिजली खपत 9000 मेगावाट के करीब बमुश्किल पहुंच रही थी। वहीं महीना खत्म होने में करीब 6500 मेगावाट बिजली खपत की बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। वर्तमान में मध्यप्रदेश की बिजली खपत 15000 मेगावाट के करीब पहुंच गई है। इसमें भी बिजली की सबसे ज्यादा डिमांड दिन के समय में बनी हुई है।
रबी सीजन में गेहूं, आलू, प्याज, लहसुन, मटर एवं अन्य सब्जियों में पानी देने के लिए मोटर पंप का सहारा लिया जाता है और यह बिजली से संचालित होते हैं, जिसके कारण अक्टूबर से जनवरी तक रबी सीजन में बिजली की सर्वाधिक मांग बनी रहती है। पिछले वर्ष भी 16000 मेगावाट के करीब सर्वाधिक बिजली खपत दर्ज की गई थी। इस बार अक्टूबर खत्म हो रहा है और बिजली की खपत 15000 मेगावाट को पार कर रही है। इंदौर बिजली कंपनी में अक्टूबर के शुरुआती दिनों में बिजली की खपत 4000 मेगावाट के करीब चल रही थी, जो अब 2150 मेगावाट बढक़र 6150 मेगावाट के करीब चल रही है। जानकारों की मानें तो इस बार बिजली की खपत नए रिकॉर्ड दर्ज करेगी। तकरीबन 17000 मेगावाट प्रदेश में बिजली खपत का आंकड़ा आगामी एक से डेढ़ महीने में दर्ज होने की पूरी संभावना है।
15 दिन पहले आई डिमांड
रबी सीजन में बिजली की मांग 15 अक्टूबर के बाद शुरू होती है, लेकिन इस बार अक्टूबर की शुरुआत में ही बिजली की डिमांड सिंचाई के लिए शुरू हो गई थी, जिसका आकलन अधिकारी नहीं कर पाए थे और सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली देने में मशक्कत करना पड़ी थी।
अब लोड का असर उपकरणों पर आएगा
अब जैसे-जैसे बिजली की डिमांड और ज्यादा बढ़ेगी तो ट्रांसफार्मर, तार और डियो जैसे उपकरण चटकने लगेंगे। ग्रामीण क्षेत्र के मैदानी अमले को ज्यादा मशक्कत करना पड़ेगी। बिजली कंपनी के अधिकारियों की ओर से दावा किया गया है कि मेंटेनेंस का काम पूरी तरह कर लिया गया है। किसी प्रकार की कोई दिक्कत सिंचाई के समय किसानों को नहीं आने दी जाएगी।
प्रदेश में वर्तमान बिजली खपत
-भोपाल बिजली कंपनी 5000 मेगावाट
-इंदौर बिजली कंपनी 6150 मेगावाट
-जबलपुर बिजली कंपनी 4200 मेगावाट