खेतों में पराली जलना किसानों को भारी आर्थिक चोट पहुंचा सकता है। फसल अवशेष या पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाली क्षति की वसूली किसानों से ही की जाएगी। इसे अपराध की श्रेणी में माना जाएगा और इसके एवज में किसानों से ढाई हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक जुर्माना वसूला जा सकता है।

राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी करते हुए किसानों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दंडनीय आदेशों से अवगत कराने का निर्देश सभी जिलों को दिए हैं। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के स्तर से इस संबंध में सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पत्र प्रेषित कर पराली के बेहतर प्रबंधन को लेकर सुझाव भी दिए गए हैं।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाया जाना दंडनीय अपराध है और इससे पर्यावरण को होने वाली क्षति की भरपाई संबंधित व्यक्ति से ही की जानी है। राजस्व विभाग के तय मानकों के अनुसार दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15 हजार रुपये तक का पर्यावरण क्षतिपूर्ति पराली जलाने वाले से वसूली जाएगी।

राज्य सरकार के आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राजस्व ग्राम के लेखपाल की यह जिम्मेदारी होगी कि वे अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं न होने दें, यदि ऐसा हुआ तो उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।