नई दिल्ली । बात यदि लोकसभा चुनाव की हो तो दिल्ली के चुनावी मैदान में अनेक दल ताल ठोकते रहे हैं लेकिन पिछले 40 वर्षों में कांग्रेस व भाजपा के बीच ही आमने-सामने का जोरदार मुकाबला होता रहा। इस दौरान कभी कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा तो कभी भाजपा ने उसे चारों खाने चित किया। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में दिल्ली में तीसरे दल को कभी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। पिछले 35 वर्षों में हुए नौ लोकसभा चुनावों में तो किसी तीसरे दल का खाता भी नहीं खुल पाया। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) का गठबंधन (आईएनडीआईए) चुनावी मैदान में है। इसलिए आईएनडीआईए ने इस बार दिल्ली में तीन सीटों पर कांग्रेस व चार सीटों पर आप के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया है। लिहाजा, इस बार दिल्ली में मुकाबला कड़ा है। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार दिल्ली अपना अतीत दोहराती है या फिर 35 वर्षों का राजनीतिक ट्रेंड ध्वस्त होगा। दिल्ली में आखिरी बार वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में तीसरे दल के रूप में जनता दल ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। तब बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से जनता दल के प्रत्याशी तारीफ सिंह चुनाव जीते थे। उस वक्त दिल्ली की सात में से चार सीटें भाजपा के खाते में व दो सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। इसके बाद नौ लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। लेकिन किसी भी चुनाव में तीसरे दल के उम्मीदवार को सफलता नहीं मिली। लगातार दो विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत व ऐतिहासिक जीत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप भी पिछले दो लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। इन दोनों चुनावों में आप को ठीक-ठाक वोट तो मिले लेकिन किसी सीट पर सफलता नहीं मिल पाई थी। इस बार लोकसभा चुनाव में आप पूरा दमखम लगा रही है। उसे दिल्ली में लोकसभा चुनाव में अभी जीत का इंतजार है।